कमिश्नर के आदेश के विरुद्ध आंदोलन के मुंहाने पर आजमगढ़

मैडम कमिश्नर! जिसका डर था, आखिर वही हो गया…!

@ अरविंद सिंह
जी हाँ मैडम कमिश्नर, आप की निडरता, ईमानदारी और बेबाकी, निश्चित तौर पर आप को औरों से अलग करती है. यही नहीं आजमगढ़ कमिश्नरी के इतिहास में भी आप के तेवर और कलेवर को लोग याद करेंगे,कितने ही कमिश्नर आए और चले गए लेकिन एक अरसे बाद बतौर नौकरशाह मोहम्मद इफ्तेखारूद्दीन ने जो रेखा खिंची थी, आप ने उसे बड़ा और चटक बना दिया. बतौर नौकरशाह आप ने भले लोगो के बीच मिलना-जुलना कम रखा लेकिन आप के सख्त रवैये और कार्य-संस्कृति ने आप को हमेशा एक न्यूज़ मेकर आफिसर के रूप में समाज के बीच चर्चा के केन्द्र में बनाये रखा. भ्रष्टाचार के विरुद्ध आप के जीरो टॉलरेंस ने बड़े से बड़े और विशालकाय वटवृक्ष को भी धराशायी कर दिया.किसी भी शिकायत का अंजाम तक पहुंचना और उसकी अंतिम परिणति निलंबन तक जाकर ही रूकना, आप की दिलेरी और जीवटता की निशानी है.और यह कार्यप्रणाली शायद आप को संस्कार में ही मिली. वरिष्ठ नौकरशाह विजयशंकर पांडेय की बहन होने का अक्स आप के तेवर में मिलता है.आजमगढ़ का बीएसए, एसडीएम का निलंबन हो या एडीए का पूरा का पूरा महकमा का एक साथ निलंबन हो, जिधर भी इस नौकरशाह का हथौड़ा चला मैदान साफ होता गया.
लेकिन इस बार लगता है आप ने निर्णय में जल्दबाजी कर दी. और जांच में विभिन्न तथ्यों के अनुशीलन पर शायद विचार नहीं हो सका. क्योंकि इस बार के निर्णय का असर मीडिया और समूचे विकास विभाग पर सीधे पड़ने जा रहा है. और दोनों ही आप के विरुद्ध खड़े नज़र आ रहें हैं. इस बार के निर्णय से आजमगढ़ की मीडिया दो धड़ों में बंट जाएगा. स्थानीय और कार्पोरेट समाचारपत्रों के बीच एक दीवार खींच गयी है. कोरोना काल में देश के प्रधानमंत्री ने जिस ‘लोकल को ओकल’ कर प्रोत्साहित करने का नारा दिया है, उस स्थानीयता के उत्पाद में स्थानीय समाचारपत्र भी आते हैं. और उसे प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी भी शासन और सत्ता सबकी है. लेकिन आप के इस निर्णय से जहाँ स्थानीय समाचारपत्र आर्थिक रूप से कमजोर पड़ेंगे वही इसका असर उनके प्रकाशन और संचालन पर भी पड़ेगा. जिन ग्राम पंचायतों के विकास संबंधी टेंडर का विज्ञापन प्रकाशन स्थानीय समाचारपत्रों में प्रकाशित होने पर उसे भ्रष्टाचार के रूप में बताया गया है, क्योंकि उनकी प्रसार संख्या कार्पोरेट के मुकाबले कम होती है.और उसी की जांच हेतु जो शिकायत आप के पास आयी, और आप ने जांच कराकर संबंधित डीडीओ तथा तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी के विरुद्ध निलंबन की संस्तुति कर विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को भेजा और संबंधित ग्राम पंचायतों के पंचायत अधिकारी और विकास अधिकारी के साथ एडीओं पंचायत के विरुद्ध स्थानीय स्तर पर विभागीय कार्रवाई का आदेश जारी किया. उसने समूचे विकास विभाग को आप के विरुद्ध एक साथ आंदोलित कर दिया है. इसी का परिणाम है कि ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी समन्वय समिति ने आज बैठक कर इस आदेश के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है. संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 24 घंटे में कमिश्नर ने इस आदेश को वापस नहीं लिया तो जनपद के 1800 से अधिक गांवों के सेक्रेटरी और पीडीएस विभाग के कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे. कोरोना काल में इस आशय का ज्ञापन देकर सेक्रेटरी संघ ने मुख्यमंत्री और शासन को भी अपने इस निर्णय से अवगत करा दिया.और जिलाधिकारी को भी इसकी सूचना दी

ज्ञापन

बताते चले की आयुक्त कनकलता त्रिपाठी का इसी महिने 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाली है. और अपने सख्त आदेशों के लिए हमेशा चर्चा में रहेगी. लेकिन इस आदेश के विरोध में आंदोलन शुरू होने की आशंका जताई जा रही है. कोरोना काल में इस तरह से जनपद के विकास विभाग का कार्य बहिष्कार उचित नहीं होगा.और इस संकट में बीच का रास्ता निकालना ही होगा, नहीं तो दो लोगों के संघर्ष से जनपद की आम आबादी प्रभावित होगी. एक बात और कि किस अखबार में विज्ञापन प्रकाशन होना है और किस में नहीं, कौन राष्ट्रीय है और कौन स्थानीय इसका निर्धारण सूचना एवं जनसंपर्क विभाग और भारत सरकार का डीएवीपी विभाग तय कर सकता हैं कोई कलेक्टर और कमिश्नर नहीं. यह गाइडलाइन्स भी जानने की जरूरत है.

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