राजस्थान राजे महाराजों की धरती रही है. तो राजा लड़ते भी खूब रहे हैं. राज जो करना रहा. जब केंद्र कमज़ोर होता है तो क्षत्रप पनपते हैं और मज़बूत होते हैं. पाइलट लोग उड़ाने में एक्सपर्ट होते है. अब देखिए न सचिन वाले पाइलट को. जहाज नहीं उड़ा पा रहे हैं तो अपनी ही पार्टी की सरकार उड़ाने में लग गए हैं. एक जमाने में उनके पप्पा राजेश पाइलट भी खूब उड़ान भरे. जहाज तो उड़इबे किये, कांग्रेस और सोनिया गांधी के तोते भी उड़ाते रहे. एक दुर्घटना ने सीनियर पाइलट को लील लिया. लेकिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ी नहीं. लेकिन भाजपाई लॉलीपॉप अऊर गहलौत की उपेक्षा में सचिन कांग्रेसी सीमा लांघकर सियासी इश्क़ की ऐसी स्क्रिप्ट लिखेंगे, सर्वेश्वर बाबू सोचबे नहीं किये थे.
ओपेन इटैलियन कमोडिटी (खेत में दो ईंट जमाकर) में फ्रेश हो रहे सर्वेश्वर बाबू को फिलिम मोहरा के ‘ टिप टिप बरसा पानी, पानी ने आग लगाई.. आग लगी इस दिल में दिल को तेरी याद आई ‘ के गंवई वर्जन को भी देखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा था. रिंकिया अऊर रमेशवा ‘गोरिया खेतवा के आरी, जब मारे गज़ब सिसकारी… के पुरातन भोजपुरी गीत को अपने सजीव अभिनय से रीमिक्स कर दिए थे. उनकी रीयल लाइफ परफॉर्मेंस से राष्ट्र चिंतन में लगे सर्वेश्वर बाबू का निगेटिव एनर्जी छोड़ने का प्रातःकालीन सत्र बुरी तरह से प्रभावित हो गया. मोदी जी के प्रति लोगों की भावनाओं की दशा और दिशा का चिंतन कमर्शियल ब्रेक की परिणति को प्राप्त हो गया.
जोर से खांस कर उनको भगाने की कोशिश में ईंट फिसल गई. फिसल तो सचिन पायलट भी गए हैं. ईंट के साथ साथ सर्वेश्वर बाबू भी ‘खेत का पानी खेत में ‘ की प्राकृतिक अवस्था को प्राप्त हो गए. ‘आएगा मज़ा अब बरसात का तेरी मेरी दिलकश मुलाक़ात का ‘ वाला फिल्मी सीन बिना हिरोईन के सर्वेश्वर बाबू करने को अभिशप्त हो गए. पहले धोये, फिर अपने आप को धोये. जइसे आजकल पाइलट वाले सचिन कांग्रेस धो रहे हैं, फिर गहलौत धो रहे हैं, फिर अपने को धो रहे हैं. ख़ैर सर्वेश्वर बाबू चिल्लाए, ‘ ऐ स्सालों फलनवा वालों..’ प्रणय में प्रेत के प्रवेश से पराजित प्रेमी पलायित हो गए. थोड़ी दूर पर भुवन शौक, शौच, सोच और सिगरेट के रासायनिक और आध्यात्मिक प्रयोगों से गुज़र रहा था. आधे अधूरे प्रयोग के साथ भुवन सर्वेश्वर बाबू की तरफ भागा.
‘का हुआ काहे बरस रहे हैं. ऊपर देव बरस रहे हैं, नीचे आप बरस रहे हैं.’ भुवन आगे कुछ बोलता सर्वेश्वर बाबू दहाड़े, ‘ चोप्प. इहां बस बादल गरज रहे हैं, बारिश का नामोनिशान नहीं है अऊर तुम बरस बरस कर रहे हो.’ तो लाये हैं न ईसबगोल, फांक लिया करिये दूध के साथ. लेकिन नहीं. उ कऊन मंतरी रहे शराब वाले .. हां भाजपा के यशवंत सिंह आज़मगढ़ वाले. जब उ बसपा में थे तो, आबकारी मंत्री थे. बोले कि दूध से ज़ियादा बियर में पौष्टिकता होती है. तो बियर का जाम लगाईये ₹, जाम ही रहेगा सब.’ भुवन चंद्रशेखर जी के पक्के चेले यशवंत सिंह पर बुरी तरह नाराज़ हुए जा रहा था या नाराज़ होने की एक्टिंग में था, यह भी सोचनीय था. बोले जा रहा था, ‘बंदा है कमाल का एक्को पार्टी नहीं छोड़ा, और कितनों को कत्तौ का नहीं.’ सर्वेश्वर बाबू बोले, ‘अच्छा चुप रहो. चलो कुटिया में बहुत जोर से विमर्श आ रहा है.’ ‘आप चलो आपके चक्कर में मेरा न चला जाये ‘ भुवन स्वार्थी हुआ. सर्वेश्वर बाबू चल दिये.
भुवन ने सिगरेट की डिब्बी ठोंकनी शुरू कर दी. प्रेशर बनने लगा भुवन को नीचे, सर्वेश्वर बाबू को ऊपर. सर्वेश्वर बाबू इस उधेड़बुन में लग गए कि भाजपा को मध्यप्रदेश पैदा होगा कि महाराष्ट्र. ई भजपइये चालू बहुत हैं. एमपी में तब तक नहीं बोले, जबतक कि सारे प्यादे सेट नहीं हो गए. महाराष्ट्र में सत्ता का गर्भपात भोग चुकी पाल्टी विथ डिफलेन्स ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता निगल ली. कांग्रेस बिलखकर रह गई. ई महाराष्ट्र का बदला था, जहां कांग्रेस ने भाजपा को ‘सरकार ‘ बनने से रोक दिया था. अऊर राजस्थान की चढ़ाई कांग्रेस को उसकी औक़ात बताने की एक कोशिश है, लेकिन सम्हल सम्हल के. भजपइये सन्नाटा खींचे पड़े हैं. कांग्रेसी भाजपा पर उसकी सरकार गिराने का आरोप लगाए जा रहे हैं. आयकर विभाग कांग्रेसियों पर छापे मारे जा रहा है.
पाइलट उड़े जा रहे हैं, विधायक भी इधर उधर उड़े जा रहे हैं. उड़ान के मौसम में कोरोना भी उड़े जा रहा है. भुवन का धुंआ भी उड़े जा रहा है. देश में काम धंधे उड़े जा रहे हैं. बेरोजगारी उड़े जा रही है. गुजरात में लेडी सिंघम बन सुनीता यादव का ग्राफ उड़े जा रहा है. ट्विटर पर उसकी शराब के साथ की सेल्फी भी उड़े जा रही है. भक्त सुनीता यादव को उड़ाए जा रहे हैं. सुनीता यादव सिस्टम को उड़ाए जा रही हैं. सर्वेश्वर का दिल बैठे जा रहा है. बाबू भी बस बैठे जा रहे हैं.
■अम्बरीष राय