दूसरी पीढ़ी की सियासत : सचिन ने अपने पिता के संघर्षो पे खुद किताब लिखी है..

सचिन पायलट के पिता थे राजेश्वर प्रसाद बिधूड़ी 1966 से 1979 तक इंडियन एयर फ़ोर्स में स्क्वाड्रन लीडर ऑफिसर थे। संजय गाँधी को हवाई जहाजों का शौक था, इसी के चलते उनकी दोस्ती संजय गाँधी से हो गयी। इंदिरा जी को राजपूत-गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में कोई गुर्जर कैंडिडेट चाहिए था तो संजय ने राजेश्वर का नाम सुझाया। इंदिरा जी उनका लम्बा सा नाम लेने की बजाय पायलट कहती थी यही से उनका नाम पड़ गया। जब उन्होंने 1980 के चुनाव में आवेदन किया तो इंदिरा जी के कहने पे कि “तुमपे पायलट सूट करता है”… एफिडेविट देके राजेश्वर प्रसाद बिधूड़ी से राजेश पायलट हो गए। उन्होंने जनता परिवार के कद्दावर नेता नाथी सिंह को 10 हज़ार वोटो से हराया। बाद में वो जयपुर की दौसा सीट से चुनाव लड़ते थे।

1991-93 संचार मंत्री, 1993-95 आतंरिक सुरक्षा मंत्री और 1995 में जमीन यातायात मंत्री रहे। एक बार तो उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जाने लगा था। सान 2000 में उनकी जयपुर में मृत्यु हुईं जिसके बाद उनके नाम का स्टाम्प भी भारत सरकार ने जारी किया।

सचिन पायलट के बाबा ग्रेटर नॉएडा के पास वैदपुरा के रेहेन वाले थे। वो साईकिल से लुटियंस में दूध देने जाया करते थे। राजेश पायलट को राजनीति में अचानक उतार दिया गया था। राजेश पायलट ने अपने बेटे सचिन पायलट को शुरू से तैयार किया। उन्हें शुरू से राजनीति की शिक्षा दी। दोनों का रिश्ता प्रगाढ़ था। 2004 के इलेक्शन में सचिन पायलट दौसा से जीत कर भारत के सबसे कम उम्र के सांसद बने थे। इसके बाद 2009 में भाजपा की सीट अजमेर मे किरण माहेश्वरी को हराया।

सचिन पायलट की सबसे बेहतरीन चीज ये है कि वो एक कम्पलीट राजनेता है। हिंदी -इंग्लिश -मेवाड़ी भाषा, भाषण, जनता से मिलना, जमीनी मुद्दे, आर्थिक व सुरक्षा कि समझ व अंतर्राष्ट्रीय पटल पे भी ये बंदा कई बार बेहतरीन भाषण देते देखा गया है। दूसरी पीढ़ी के नेताओं में अपने बाप के संघर्ष की जानकारी की कमी पायी जाती है लेकिन सचिन ने अपने पिता के संघर्षो पे खुद किताब लिखी है..

LakshmiPratap Singh की वाल से

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