डॉ. कन्हैया त्रिपाठी को ऑस्ट्रेलिया की पत्रिका ने संपादक मण्डल में किया शामिल

सागर : सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका की मुख्य संपादिका डॉ. पूनम शुक्ला ने राष्ट्रपति के पूर्व ओएसडी डॉ. कन्हैया त्रिपाठी को ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित होने वाली पत्रिका में बतौर संपादक मण्डल-सदस्य मनोनीत किया है।  

आज़ जारी एक ईमेल पत्र के ज़रिए मुख्य संपादिका पूनम शुक्ला जी ने डॉ. त्रिपाठी को सूचित किया है कि सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका जो कि 6 मैपलटन वे, टार्नेट, विक्टोरिया – 3029, ऑस्ट्रेलिया से सुश्री गरिमा मनीषी द्वारा प्रकाशित की जाती है। इसके प्रबंध संपादक प्रो. सारस्वत मोहन ‘मनीषी’ जी और सलाहकार मण्डल के अध्यक्ष डॉ श्रीनारायण ‘समीर’ जी हैं। आपको यह अवगत करना चाहेंगे कि इस पत्रिका के आवश्यक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय मेरे व एक उच्च स्तरीय मेरी टीम द्वारा किया जाता है। इसके अंतरराष्ट्रीय समन्वयक डॉ. शैलेश शुक्ला जी हैं। यह एक बहुविषयक, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका है। यह ई-पत्रिका हिंदी भाषा, साहित्य और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सम्पूर्ण विश्व से भाषा, साहित्य और अनुसंधान के क्षेत्रों से ‘वैश्विक हिन्दी अभियान’ में विभिन्न देशों के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों की कोटि से आपको चयनित की है। ज्ञातव्य हो कि साहित्यिक, भाषिक एवं अकादमिक संस्थाओं के साथ-साथ ‘विश्व हिन्दी सचिवालय, मॉरीशस’ की भी सहभागिता भी हमारे साथ है।  

पूनम शुक्ला ने कहा कि हमें हार्दिक प्रसन्नता एवं गर्व की अनुभूति हो रही कि सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका में आपको संपादक मण्डल का सदस्य मनोनीत किया जाता है। 

इसके पहले डॉ. त्रिपाठी को पिट्सबर्ग अमेरिका से प्रकाशित होने वाली द्विभाषी पत्रिका सेतु ने भी संपादक मण्डल में शामिल किया था जिसमें वे बतौर सम्पादक मण्डल सदस्य हैं।

पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील जी के संपादक रह चुके डॉ. त्रिपाठी को उन्हें उनके विशिष्ट अनुभवों के आधार पर एक बार ऑस्ट्रेलिया की भी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका सृजन ने अपने संपादक मण्डल में शामिल किया है। 

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में यूजीसी-एचआरडीसी के असिस्टेंट प्रोफेसर और डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या में एडजंक्ट प्रोफेसर डॉ. त्रिपाठी को हाल ही में उनके गाँधीयन अकादमिक उपलब्धियों के आधार पर नेपाल के गांधी पीस फाउंडेशन ने उन्हें गांधी नोबल शांति पुरस्कार से भी नवाज़ा था।

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