सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार की इस बात के लिए खिंचाई की कि उसके द्वारा जमानत मंजूर किए जाने के एक माह बाद भी नोएडा बाइक बॉट घोटाले के आरोपी की रिहाई नहीं हो सकी। 3500 करोड़ रुपये के इस घोटाले के एक आरोपी की जमानत अर्जी शीर्ष कोर्ट ने एक माह पूर्व मंजूर कर ली थी।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले में कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए जुर्माना लगाने से खुद को रोका और कहा कि यह एक गंभीर मामला है।
पीठ, जिसमें जस्टिस् दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल थे, ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘हम क्या सुन रहे हैं? एक माह पहले हमने आदेश दिया था, लेकिन वह व्यक्ति अभी तक रिहा नहीं हुआ? क्या उत्तर प्रदेश की यह स्थिति हमारे सामने पेश की जा रही है? आपने एक माह बाद भी व्यक्ति को रिहा नहीं किया। यह बहुत गंभीर मामला है।’
रिहाई तो दूर, न्यायिक हिरासत और बढ़ा दी
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उसने आरोपी विजय कुमार शर्मा को 13 दिसंबर 2021 को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद भी उसे रिहा नहीं किया गया। इतना ही नहीं एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उसकी न्यायिक हिरासत अवधि और बढ़ाकर शीर्ष कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया। कोर्ट ने कहा कि हम जांच अधिकारी के आचरण की निंदा करते हैं और जिस तरह से मजिस्ट्रेट ने यंत्रवत् रूप से इस अदालत द्वारा 13 दिसंबर को पारित आदेश की अवहेलना करते हुए आवेदक की हिरासत बढ़ाने का निर्देश दे दिया, उसके बारे में गंभीर आपत्ति प्रकट करते हैं।
इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वे आवेदक को बगैर वक्त गंवाएं रिहा करा कर इस अदालत के आदेश का पालन कराएं। हम यूपी सरकार के अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि ऐसी गलती भविष्य में नहीं दोहराई जाए। आगे कार्रवाई के लिए इस स्पष्ट आदेश की एक प्रति राज्य के गृह सचिव को भी भेजी जाए।