देशभर से उठी मांग : राजभवन को वीसी ओम थानवी की सेवा का विस्तार कर देना चाहिए!

देश के पत्रकारों, समाज सेवियों, लेखकों, बौद्धिकों, राष्ट्रचिंतकों की मांग

मित्रों!
इतना पतित ना हो जाओ, इतना संकीर्ण ना हो जाओ, इतना वैचारिक शून्य और घृणास्पद ना हो जाओ, इतना अलोकतांत्रिक और नफ़रती ना बन जाओ कि एक महान विश्वविद्यालय बनने के सपने की ही भ्रूणहत्या हो जाए. वह विश्वविद्यालय जिससे पत्रकारिता और जनसंचार की उम्मीद भरी परंपरा की आहट सुनाई दे रही है. वह विश्वविद्यालय जिसके आधारशिला में चार दशक की पत्रकारिता और लेखन की महान परंपरा का निर्वाह करने वाले, देश के लेखक,संपादक, कुशल वक्ता, भाषाविद और…इन सबसे बड़े हमारे समय के एक महान पत्रकार, जिनको पढ़कर हम जैसों में पत्रकारिता की थोड़ी समझ विकसित हो सकी, जिनकों पढ़कर भाषा का विज्ञान समझ सके, ऐसे उद्भट्ट विद्वान ओम थानवी जी हैं.
‘जनसत्ता’ और राजस्थान पत्रिका के संपादक रहे और ‘मुअन जोदड़ो’ के लेखक ओम थानवी जी जयपुर में स्थित HJU-Haridev Joshi University of Journalism and Mass Communication ‘हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय’ के वाइस चांसलर हैं. विश्वविद्यालय अभी-अभी चलना शुरू हुआ. पत्रकारिता की लगभग सभी फैकल्टी अपना काम करना शुरू कर दिया. देश के बड़े और योग्य पत्रकारों का भी अनुभव लिया जा रहा है. एक से बढ़ कर एक बड़े पत्रकारों का, भविष्य के पत्रकारों (छात्रों) से संवाद का अदभुत कार्यक्रम, पत्रकारिता में ही शोध और अनुसंधान की नियमित फैकल्टी का संचालन. यह सब कुछ संभव हो सका है, एक पत्रकार के कुलपति बनने से, उसके अनुभवों से, उसके सपनें से,जो उन्होंने इस विश्वविद्यालय को लेकर देखा और उसे जमीन पर उतारने की हरसंभव कोशिश की.
आज कुछ टुच्चै, कम-अक्ल और नफ़रती लोगों का गिरोह उनकी कार्य प्रणाली पर सवाल उठा रही हैं, मार्च उनके सेवा का आखिरी समय है, राजभवन को ऐसे स्वप्न द्रष्टा और शिल्पकार कुलपति की सेवा काल का नवीनीकरण कर देना चाहिए. जिससे यह विश्वविद्यालय अपने महान उद्देश्य में सफल हो सके. राजस्थान के राजभवन महामहिम Kalraj Mishra और मुख्यमंत्री Ashok Gehlot को इस विश्वविद्यालय के भविष्य को लेकर विराट पत्रकार और कुलपति Om Thanvi सर की सेवा का अविलंब विस्तार कर देना चाहिए. यह देश के पत्रकारों, समाज सेवियों, लेखकों, बौद्धिकों, राष्ट्रचिंतकों की मांग है.
और हाँ नफ़रती चिंटुओं! सूरज पर थूंकने पर थूक ऊपर ही आता है, यह स्वयंसिद्ध सिद्धांत है.
– डॉ अरविंद सिंह

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