उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की एंट्री हो चुकी है। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के उम्मीदवार के तौर पर वह मऊ से चुनावी मैदान में उतरेंगे। सुभासपा और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का यूपी चुनाव 2022 को लेकर गठबंधन है। ऐसे में अब मुख्तार अंसारी पर राजनीति गरमा रही है। लेकिन दिलचस्प तौर पर मुख्तार अंसारी ने कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अपना पहला चुनाव लड़ा था।
मुख्तार अंसारी ने अपने बड़े भाई अफजाल अंसारी के नक्शे कदम पर चलते हुए राजनीतिक एंट्री ली थी। अफजाल अंसारी ने 1985 में अपना पहला चुनाव लड़ा और जीता था। बीएसपी के सिम्बल पर 1996 में पहली बार विधायक बने मुख्तार अंसारी ने इसके पहले भी चुनाव लड़ा था। मुख्तार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से सियासत में एंट्री ली थी। साल 1995 में गाजीपुर सदर विधानसभा सीट पर मुख़्तार ने जेल में रहते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।
जेल में रहते हुए लड़ा पहला चुनाव
1993 में यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्म था। इन चुनावों में एसपी-बीएसपी ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन किया था। चुनावों के ठीक पहले बीएसपी कैंडिडेट विश्वनाथ मुनीब की हत्या हो गयी। ऐसे में चुनावों को टाल दिया गया था, फिर 1995 के अप्रैल महीने में उपचुनाव हुए। इन चुनावों में अपने ऊपर चल रहे एक मुकदमे में मुख़्तार जेल में बंद थे। उन पर दिल्ली पुलिस ने टाडा के तहत मुकदमा दर्ज किया था। चुनावों को लड़ने के क्रम में न्यायिक प्रक्रिया के तहत मुख्तार को दिल्ली के तिहाड़ जेल से गाजीपुर जेल शिफ्ट किया गया था।
भाकपा ने दिया था टिकट
मुख्तार अन्सारी के बड़े भाई और वर्तमान में बीएसपी के सिंबल पर गाजीपुर सदर सीट से सांसद अफजाल अंसारी ने अपने छोटे भाई मुख़्तार को कम्युनिस्ट पार्टी से टिकट दिए जाने को लेकर पार्टी स्तर पर पिचिंग की थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव एबी वर्धन और कद्दावर कम्युनिस्ट नेता इंद्रजीत गुप्ता ने अफजाल अंसारी के कहने पर मुख्तार अंसारी का टिकट फाइनल किया था। इन चुनावों में एसपी-बीएसपी के गठबंधन के तर्ज जनता दल और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठबंधन था। गठबंधन के तहत गाजीपुर सदर की सीट कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में आई थी जिसपर मुख्तार अंसारी ने चुनाव लड़ा था।
मुख्तार ने किया था सेकंड पोल
इन चुनावों में प्रदेश सरकार में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री राजबहादुर ने बीएसपी से, बीजेपी से उदयप्रताप और कांग्रेस से अमिताभ अनिल दुबे ने ताल ठोंकी थी। चुनाव में राजबहादुर विजयी घोषित हुए थे। इन चुनावों में मुख्तार को हार का सामना करना पड़ा और दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। हालांकि,मुख्तार के चुनाव प्रचार के लिए सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने ग़ाज़ीपुर में कई दिनों तक कैम्प किया था।
बीएसपी का किया रुख
इन चुनावों में हारने के बाद मुख्तार अंसारी ने बीएसपी में शामिल होने का निर्णय लिया। 1995 के अंतिम महीनों में मुख्तार को बीएसपी ने गाजीपुर का जिलाध्यक्ष बना दिया। तत्कालीन बीएसपी सरकार ने मुख्तार अंसारी को उस समय ज़ेड प्लस सुरक्षा भी मुहैया कराई थी।