Azamgarh : एक विश्वविद्यालय महान कैसे बन सकता है..?

बहुप्रतीक्षित महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, आजमगढ़ की संग- ए- बुनियाद भाजपा सरकार ने रख दिया है. यह आजमगढ़ मंडल के शैक्षणिक विकास और अनुसंधान के लिए मील का पत्थर साबित हो, ऐसी उम्मीद हम दुनिया भर में फैले आज़मी करते हैं. लेकिन हमारा मानना है कि यह विश्वविद्यालय ज्ञान- विज्ञान और अनुसंधान के नये कपाट तभी खोलेगा. जब यह अनुसंधान, रोजगार और सेवापरक शैक्षणिक संस्कार की नर्सरी बनता जाएगा , आवश्यकता है इसके संस्थापक कुलपति प्रोफेसर पीके शर्मा जी, एक दूरदर्शी और शैक्षणिक वास्तुकार के साथ विज़नरी, मिशनरी के साथ एक कुशल परिकल्पक भी हों.. विश्वविद्यालय की इमारत ही बुलंद न हो बल्कि इसके ज्ञान गंगा और शैक्षणिक संपदा की इबारत भी बुलंद हो… आजमगढ़ मंडल के समग्र विकास के लिए इस संस्थान को जीवन के हर क्षेत्र में अपनी भूमिका रेखांकित करनी होगी..
सामान्य संकायों के अतिरिक्त ज्ञान- विज्ञान,अनुसंधान और रोजगार परक शिक्षा के केन्द्र खोलने होगें..
कुछ मांग, जो आजमगढ़ के शैक्षिक विकास में मील के पत्थर साबित हो सकतें हैं :-

० फिल्म निर्माण और ड्रामा के लिए पृथक संकाय हो.
० पत्रकारिता और जनसंचार का पृथक संकाय हो.
० लोकरंग, लोक भाषा-साहित्य, लोक आस्था, लोक संस्कृति और तथा लोक नायकों के योगदान के अध्ययन के लिए पृथक शोधपीठ बनें
० बुनकरी,और शिल्पकला, पाटरी और कुटीर उद्योग पर आधारित आधुनिक शिक्षा के अध्ययन केन्द्र हो.

डॉ अरविंद सिंह, संयोजक जर्नलिस्ट क्लब आजमगढ़
लेखक/ संपादक
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