कलेक्टर साब! अकेले कोटेदार ही क्यों?मार्केटिंग इस्पेक्टर,आपूर्ति निरीक्षक और वितरण सुपरवाइजरों की भी जांच हो..?तभी आपदा के पीड़ितों के साथ वास्तविक न्याय हो सकता है..

@अरविंद सिंह (8अप्रैल,2020, आजमगढ़,उत्तर प्रदेेेश)
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जी हां!कलेक्टर साब, इस वैश्विक आपदा में भी गरीबों के निवालों पर डाका डालने वाले कोटेदारों पर एफआईआर तो होना ही चाहिए और उन्हें बिना किसी रियायत के जेल भी भेजा जाना चाहिए ,जिसे आप कर भी रहे हैं, लेकिन इसी के साथ इस खाद्यान्न भ्रष्टाचार की चेन का भी सफाया होना चाहिए। इस चेन में कोटेदार तो सबसे आखिरी और दृश्य किरदार हैं। जिसे सभी चोर समझते हैं और बहुसंख्यक हैं भी,लेकिन इसी के साथ उस सिस्टम की भी जांच हो, जिसमें भ्रष्टाचार की एक पूरी चेन जुड़ी हुई है। जिलापूर्ति कार्यालय से लगायत,पूर्ति निरीक्षक, मार्केटिंग इस्पेक्टर, राशन वितरण का साक्षी (सुपरवाइजर) जिसके सामने राशन वितरण का दावा किया जाता है और खाद्यान्न माफिया। इन सभी की कमर तोड़े बिना कोटेदार को निलंबित और जेल भेज देने भर से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता नहीं आ सकती है।आजमगढ़ के 22 ब्लाकों पर एफसीआई के गोदामों का हाल जानना हो तो कभी भेष बदल कर चले जाइए,या अपनी टीम से गोपनीय जांच करा लीजिए।पता चल जाएगा कि कैसे मार्केटिंग इस्पेक्टर कोटेदार से प्रति बोरा 150-200 रूपये लेता है। कैसे इन्ही गोदामों पर क्षेत्र के खाद्यान्न माफिया और कोटेदारों के बीच सेतु बनता है यही निरीक्षक।कैसे प्रति ग्राम पंचायत के उठान के तय खाद्यान्न से एक चौथाई या आधा अथवा कई बार पूरा का पूरा राशन कोटेदार के यहां नहीं पहुंच, सीधे खाद्यान्न माफिया के गाड़ी पर लदकर उसके निजी गोदामों में चला जाता है और घंटे भर में सरकारी सीलबंद बोरे से राशन दूसरे बोरे में चला जाता है।और यहाँ दूसरे जनपदों की मंडियों में ऊंचे भाव बिक जाता है। यदि यह अनाज कोटेदार के यहा पहुंचा है तो वितरण के समय अंगूठा लगाकर प्रति यूनिट 2 या 3 किग्रा राशन हड़प लिया जाता है। कैसे साक्षी के रूप में वीडीओ या सेक्रेटरी, कोटेदार से उपकृत होकर उसके तैयार डमी राशन वितरण पंजीका पर बिना मौके पर पहुंचे या पहुंच कर ही हस्ताक्षर बना देता है।कैसे आपूर्ति विभाग और उसका अधिकारी इस चेन में मजबूती से जुड़कर भ्रष्टाचार के इस गोरखधंधे को निर्बाध चलाता है। कैसे प्रति कोटेदार विभागीय सुविधा शुल्क वसूला जाता है और उसका नीचें से ऊपर तक बंदरबांट किया जा है।

दरअसल यह पूरी की पूरी एक ‘करप्शन चेन सिस्टम’ है।जिसमें सफेशपोश से लेकर अफसर तक एक एक कड़ी जुड़ी है।यह इनका बारहमासी धंधा है। लेकिन कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय में भी यह धंधा यदि सामान्य दिनों की तरह निर्बाध ढंग से चल रहा है तो इनके ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा होना ही चाहिए और साथ ही पूरे चेन सिस्टम पर भी। इसकी गोपनीय टीम बनाकर आजमगढ़ के 22 ब्लाकों की सघन जांच होनी चाहिए। निसहाय और निराश्रितों की दुवाएं जरूर लगेगीं आप को।क्यों कि अन्त्योदय समाज के विकास की बात तो यह सरकार भी करती है। और भाजपा के आदर्श पुरूष दीनदयाल उपाध्याय जी भी उसी अन्त्योदय समाज के भलाई की बात करते हैं,जिनके अधिकारों पर यहां डाका डाला जा रहा है।

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