नायक कहीं और से नहीं आतें हैं वे अपने कर्मों से नायक बन जाते हैं..

केरल के पथनमथीट्टा के कलेक्टर पी.वी.नूह के पास कलेक्टर कंट्रोल रूम 1077 से इन्फॉर्मेशन आयी कि मुख्यालय से दूर नदी के पार एक गाँव में तीन परिवार, जो आइसोलेट हैं उनके पास राशन पूरी तरह खत्म हो चुका है। पथनमथीट्टा वही जगह है जहाँ मार्च में इटली से लौटे एक परिवार की वजह से देश में पहली बार कोरोना केस सामने आया था।

आधी रात तक मीटिंग करने और अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद कलेक्टर साहब के पास सुबह जैसे ही ये इन्फॉर्मेशन आयी, उन्होंने ब्रेकफास्ट छोड़ दिया। चूंकि कलेक्टर साहब को ये मालूम था कि जिले का हर बड़ा अधिकारी उनके साथ आधी रात तक मीटिंग में था इसलिए उन्होंने किसी दूसरे को कहने की जगह अपने ड्राइवर, अर्दली और एक सहयोगी के साथ राशन सामग्री अपनी कार में रखवाई और गाँव के किनारे पहुंच गए। गाँव नदी पार था इसलिए सब किनारे पर उतरे और राशन उठा के आगे जाने लगे। कलेक्टर साहब ने उन्हें रोका, अपने जूते उतारते हुए बोले – ‘सब साथ चलेंगे।’
फिर क्या था ! तीन चक्कर लगे – हर बार कलेक्टर साहब बोरियां लाद के राशन पहुँचाते रहे।

कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट के तौर पर दर्ज हुए पथनमथीट्टा में कभी 286 पॉज़िटिव केस थे जो आज सिर्फ 13 रह गए हैं और इसके पीछे पी.वी. नूह के प्रशासनिक प्रबंधन का बड़ा हाथ है।

~rudra pratap dubey

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