चीन के बगल में छोटा सा देश वियतनाम है । यह चीन से लगभग 10 गुना छोटा है और इसकी आबादी लगभग साढे नौ करोड़ है। आप इसे कुछ कुछ ऐसे समझ सकते हैं जैसे भारत के बगल में नेपाल है। वियतनाम भी एक कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा शाषित देश है । इसकी सीमाएं भी चीन से उसी तरह से खुली हुई है जैसे भारत की नेपाल के साथ। दोनों देशों के लोगो की आवाजाही भी उसी तरह से है जैसे भारत-नेपाल के बीच है।
पूरे वियतनाम में कुल 1000 वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं है न ही उसकी स्वास्थ्य सुविधाएं चीन जैसे उच्च स्तर की है। विएतनाम में प्रति 10000 व्यक्ति पर मात्र 8 डॉक्टर उपलब्ध है। फिर भी पूरी दुनिया मे कोरोना के खिलाफ लड़ाई में विएतनाम एक मॉडल स्टेट के रूप में उभर कर सामने आया है।
उसने अमीर देश दक्षिण कोरिया के मॉडल के इतर सिर्फ प्रोएक्टिव तरीको को अपनाकर कोरोना को मात दे दी है। 9 अप्रैल की तारीख तक पूरे वियतनाम में एक व्यक्ति भी कोरोना से मारा नहीं गया और मात्र 300 के लगभग व्यक्ति ही इससे प्रभावित है।
ऐसा नहीं है कि विएतनाम अपने रोगियों की संख्या को चीन की तरह छुपा सकता है क्योंकि यहां फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई पाबंदी नही हैं ।
आइए जानते हैं वियतनाम ने ये किया कैसे?
सबसे पहले सभी स्कूलों को जून तक के लिए बंद कर दिया गया। सरकार ने 1 फरवरी से ही चीन से आने जाने वाले सभी फ्लाइट्स को बैन कर दिया । सड़क मार्ग तो तभी से बंद थे जब जनवरी में चीन के वुहान में 27 फ्लू जैसे केस देखे गए थे ।
13 फरवरी से सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई। देश के उस हिस्से को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया जहाँ वुहान से आये हुवे श्रमिक रुके थे। पूरे देश मे मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया , फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया गया।
जनवरी महीने तक जितने लोग विदेशों से आये थे उन सबको खोजकर quarantine किया गया। इन सब तरीको का ही नतीजा है जो उनका देश बिना लॉकडाउन अपनी आर्थिक गतिविधियों को चालू रखे हुवे है। मेरा एक दोस्त जो वियतनाम स्थित एक यूरोपियन केमिकल फैक्ट्री का मैनेजर है उसने मुझे कल ही बताया उसके फैक्ट्री में पूरे जोर-शोर से काम हो रहा। फर्क बस इतना है कि डिमांड कम होने से थोड़ा प्रोडक्शन कम हो गया है।
वियतनाम की सफलता का राज वही है जो केरल का है ।केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कल एक इंटरव्यू में कहाँ की निपाह के अनुभव के बाद हम वुहान की खबर आने बाद तैयार बैठे थे ।जैसे ही वुहान से 4 MBBS के छात्र केरल लौटे उनका एक्शन प्लान हरकत में आ गया। केरल में भी कोरोना से सिर्फ दो लोग मरे हैं।
वहाँ भी फरवरी से ही तैयारियां शुरू हो गई थी नतीजा सबके सामने है ।
ये दोनों उदाहरण हमें बताते हैं कि आपको किसी भी आपदा से निपटने के लिए महाबली होना जरूरी नहीं है, हां लेकिन संवेदनशील और बुद्धिमान होना जरूरी है।थाली-ताली , दिया-बाती जैसे शो बाजी करने से अच्छा है कि आप इस तरह के कार्यों को करें
-Sheetal P. Singh की वॉल से साभार