पहाड़ का आदमी जब मैदान में आता है तो बहुत तेज दौड़ता है क्योंकि उसे पहाड़ के दुर्गम, संकरे और मुश्किल भरे रास्तों पर चलना उसके जीवनचर्या में होता है.
(एक दृश्य- आजमगढ़)
०डॉ अरविंद सिंह
जनवरी का आखिरी महिना, समय-शाम के लगभग 4 बजे रहे थे. स्थान- जनपद का हरैया ब्लॉक मुख्यालय,
जनपद मुख्यालय से कलेक्टर बहादुर का काफिला पहुँचा. सामने-खंड विकास अधिकारी यानि बीडीओ हरैया. कलेक्टर बहादुर अमृत त्रिपाठी ने सवाल दागा- ‘बीडीओ साब! ब्लॉक में कितने धान क्रय केन्द्र संचालित हैं.’.
बीडीओ की आवाज़ में नरमी, नीचे देखते हुए चेहरे पर बेचारगी के भाव लिए कलेक्टर के सवालों पर बंगले झांंकने लगें.
फिर क्या बीडीओ के चेहरे पर हवाईयां देख साब समझ चुके थे कि बीडीओ साब कुर्सी पकड़ हैं, क्षेत्र में निकलते नहीं है. ठंडा कुछ ज्यादा ही लग रहा है.
बोले आप को अपने क्षेत्र के धान क्रय केन्द्रों की संख्या तक नहीं मालूम है.. होमवर्क नहीं करते..
घोर.. अनुशासन हीनता..!
कलेक्टर बहादुर आपे से बाहर, लेकिन संभलते हुए फरमान जारी हुआ-
चलिए! ऐसा करें बीडीओ साब! आप सभी धान क्रय केन्द्रों पर जाइए, किसानों का धान क्रय कराएंगे. फिर मुझे इसकी रिपोर्ट करें..
गौरतलब है कि युवा कलेक्टर अमृत त्रिपाठी का यह रूटीन है कि वह आफिस वर्क निपटाने के बाद अचानक किसी गाँव में कभी भी निकल पड़ते हैं. और जिस गाँव का टारगेट होता है, या संकेत होता है, वहाँ पहुंचते ही ठीक बगल से दूसरे गाँव में निकल जातें हैं. और 4-5 किमी गाड़ी खड़ी कर पैदल निकल जाते हैं. अब करते रहो कलेक्टर के आने की तैयारी. कलेक्टर बहादुर को भी नहीं पता होता कि आज उन्हें किस गाँव और क्षेत्र में जाना है. पहाड़ का आदमी जब मैदान में आता है तो बहुत तेज दौड़ता है क्योंकि उसे पहाड़ के दुर्गम, संकरे और मुश्किल भरे रास्तों पर चलना उसके जीवनचर्या में होता है.
समाचार समाप्त