हिंदी प्रचारिणी सभा मरिशास तथा साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में राम कथा का वैश्विक यूबी संदर्भ में भूमिका विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा मद्रास के परीक्षा नियंत्रक डा रंजय कुमार सिंह ने भाग लिया और बताया की राम नाम वह औषधि है जो सभी समस्याओं का समाधान करता है। ।श्री राम कथा के प्रति आस्था भारत तक सीमित नहीं है। विश्व के अनेक देशों में यह प्रचलित है। ऐसे सभी देशों की लोक संस्कृति में रामलीला का विशेष महत्व है। दुनिया के पैसठ देशों में रामकथा की प्रतिष्ठा है। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले इंडोनेशिया सहित दुनिया में कई देश भगवान श्री राम के नाम का वंदन करते हैं। रामायण इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और नेपाल में प्रसिद्ध और पूजनीय है। इंडोनेशिया के लोग तो कहते है कि उन्होंने उपासना पद्धति या मजहब बदला है,लेकिन अपने पूर्वज नहीं बदले है।
भारत ही नहीं, विश्व के पैंसठ देशों में रामलीला होती है। प्रत्येक स्थान की अपनी विशेषता होती है। रामलीला के भी अनगिनत रूप हैं। यह इंडोनेशिया,मलेशिया जैसे देशों में भी खूब प्रचलित है। वहां लोग मजहबी रूप से मुसलमान हैं ,लेकिन सांस्कृतिक रूप में अपने को श्री राम का वंशज मानते हैं। यह मॉरीशस, त्रिनिदाद,फिजी,आदि अनेक देशों में प्रचलित है, जहाँ भारतीय श्रमिक राम चरित मानस की छोटी प्रति को पूंजी के रूप में लेकर गए थे। रामलीला उनकी भावनाओं से जुड़ी रही। भारत में रामलीला के विविध रूप रंग हैं।