यूपी उपचुनाव: कटेहरी और मिल्कीपुर में टिकट को लेकर भाजपा में खींचतान, सहयोगी दल भी बढ़ा रहे मुश्किल
1 min readलखनऊ। उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा की विपक्ष से लड़ाई तो बाद में होगी, इससे पहले टिकट को लेकर ही पार्टी के भीतर ही जंग शुरू हो गई है। वैसे तो सभी सीटों पर दावेदारी के लिए रस्साकशी हो रही है, लेकिन भाजपा नेताओं के बीच असली जंग कटेहरी और मिल्कीपुर सीट के टिकट को लेकर है। इन दोनों सीटों पर अपने शागिर्दों व चहेतों को टिकट दिलाने के लिए कई मंत्री और संगठन के बड़े पदाधिकारी भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इससे शीर्ष नेतृत्व को टिकट तय करने में दिक्कत है रही है। मिल्कीपुर और कटेहरी सीट पर टिकट के लिए मारामारी के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि इन दोनों सीटों पर चुनावी प्रबंधन की कमान खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाली है, इसलिए दावेदार अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। जिस तरह से सीएम ने दोनों सीटों पर फोकस किया है उससे यहां माहौल काफी बदला है। इससे भाजपा व सहयोगी दलों के दावेदारों की उम्मीदे बढ़ और गई हैं। सूत्रों की माने तो मिल्कीपुर में एक पूर्व सांसद अपने एक करीबी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं तो कटेहरी सीट के प्रभारी बनाए गए एक मंत्री भी अपने चहेते को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत लगाए हैं। संगठन के कई पदाधिकारी भी टिकट की लाइन में हैं। कटेहरी में निषाद पार्टी की दावेदारी के अलावा भाजपा की ओर से भी आधे दर्जन नेताओं में भी टिकट की होड़ है। दोनों सीटों पर टिकट पाने की दौड़ में कई ऐसे नेता शामिल हैं, जो लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे। टिकट को लेकर छिड़ी जंग का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दावेदार आपस में ही एक दूसरे की पोल खोल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कटेहरी सीट पर टिकट को लेकर स्थानीय भाजपा इकाई दो फाड़ हो चुकी है। दोनों खेमा एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों का पिटारा भाजपा नेतृत्व के पास भेजा है। प्रदेश संगठन ने पिछले दिनों शिकायतकर्ताओं को प्रदेश मुख्यालय में बुलाकर उन्हें समझाया भी था। वहीं, अंबेडकर के दौरे पर गए संगठन के पदाधिकारियों ने भी उन्हें शांत रहने की नसीहत दी थी। इसके बावजूद उनके बीच रार जारी है।
सूत्रों की माने तो कटेहरी, गाजियाबाद, फूलपुर और मझवां सीट पर कुछ बाहरी लोगों को टिकट दिलाने को लेकर भाजपा के दो बड़े नेता भी फील्डिंग सजाए हुए हैं। वे दिल्ली तक की दौड़ भी लगा चुके हैं। मीरापुर सीट पर पूर्व सांसद मलूक नागर और पूर्व विधायक राजपाल सैनी भी अपने-अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं। मौजूदा सांसद चंदन चौहान भी अपनी पत्नी के लिए जोर लगाए हैं।
सहयोगी दल भी सीट के बंटवारे को लेकर भाजपा के सामने अड़ंगा लगा रहे हैं। इसलिए भी मामला नहीं सुलझ पा रहा है। सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद कटेहरी और मझवां सीट मांग रहे हैं तो रालोद भी मीरापुर के साथ ही खैर सीट पर दावेदारी जता रहा है। इसे लेकर भी भाजपा असमंजस में है।