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ध्वजारोहण: पीएम ने फहराया धर्मध्वज, कहा- मानसिक गुलामी से मिली आजादी; सीएम बोले- रामलला से वादा पूरा किया

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अयोध्या। अयोध्या ने आज एक और ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। निर्धारित शुभ मुहूर्त में प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्मध्वज फहराया। जैसे ही केसरिया ध्वज पवन के संग लहराया, पूरा परिसर ‘जय श्री राम’ के उद्घोष से गूँज उठा। क्षण भर में वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया और श्रद्धालुओं की भावनाएँ उमंग में बदल गईं।धर्मध्वज फहराने से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच व्यापक पूजन-अर्चन सम्पन्न हुआ। यज्ञकुंडों से उठती आहुतियों की सुगंध और नगाड़ों की गूँज ने समारोह को भव्यता प्रदान की। पीएम ने ध्वजारोहण कर राष्ट्र को सनातन परंपरा की अखंडता, आस्था और सांस्कृतिक स्वाभिमान का संदेश दिया। इस अवसर पर देश-दुनिया से आए संत-महंत, विशिष्ट अतिथि और हज़ारों श्रद्धालु मौजूद रहे। सुरक्षा के कड़े इंतज़ामों के बीच राम नगरी उत्सव के रंग में डूबी रही। मंदिर परिसर से लेकर सरयू तट तक हर ओर दीप, पुष्प और रंगोलियों से सजा माहौल इस ऐतिहासिक उत्सव का साक्षात अनुभव करा रहा था। चार से पांच मिनट के संक्षिप्त ध्वजारोहण अनुष्ठान में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर ध्वज फहराया। सात हजार अतिथि समारोह के साक्षी बने।, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, , धर्मगुरु, व्यापार जगत के प्रमुख नाम, दलित, वंचित, किन्नर और अघोरी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल रहे। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने रोड शो किया। एयरपोर्ट से लेकर राम मंदिर तक बड़ी संख्या में लोग पीएम मोदी की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे। करीब डेढ़ किलोमीटर के लंबे रोड शो में हजारों लोग शामिल हुए। पीएम इसके बाद सीधे राम मंदिर पहुंचे। राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे दंड पर सोना मढ़ा गया है। करीब 21 किग्रा सोना, इस दंड पर लग रहा है। इस काम को मुंबई से आए कारीगरों ने पूरा किया है। बता दें कि पांच अगस्त, 2020 को जिस भूमि तल पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया था, शिखर के नाभि दंड का निर्माण उसी स्थल पर किया गया है। यह भूमि पूजन भूमि की सतह से करीब 50 फीट नीचे किया गया था। वर्तमान में इसकी ऊंचाई शिखर तक है, जो कि सतह से 161 फीट ऊंचा है। इस तरह नाभि दंड की कुल ऊंचाई 211 फिट है। फिलहाल इस नाभि दंड की कुल लंबाई में भूमि तल से ऊपर दिखाई दे रहे दंड को स्वर्ण मंडित किया जा रहा है। इस नाभि दंड की नाप-जोख पहले हो गई थी। उसी नाप-जोख के अनुसार मुंबई के कारीगर यहां दंड का आवरण लेकर राम मंदिर में आए हैं और नाभि दंड पर स्वर्ण का आवरण चढ़ाया गया है। राम मंदिर के पश्चिम दिशा में इस नाभि दंड को देखा जा सकता है जिस पर आधे से अधिक लंबाई में स्वर्ण पत्तल चढ़ा दिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर मंगलवार को फहराया गया कोविदार ध्वज कलियुग में भी त्रेता का आभास कराएगा। यह ध्वज प्राचीन काल से अयोध्या की पहचान रहा है, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। मंदिर ट्रस्ट ने इस ध्वज को चुनकर अयोध्या का गौरव बढ़ाया है। अयोध्या का राज ध्वज और उस पर अंकित कोविदार वृक्ष सनातन संस्कृति की अमूल्य निधि रही है। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में है। इसके अनुसार चित्रकूट में वनवास के दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण को ध्वजों से विभूषित अश्व और रथों से आती हुई सेना की सूचना दी और इसके बारे में पता लगाने को कहा। इसे देखकर लक्ष्मण ने कहा कि ‘यथा तु खलु दुर्भद्धिर्भरत: स्वयमागत:। स एष हि महा काय: कोविदार ध्वजो रथे।’ अर्थात् ‘निश्चय ही दुष्ट दुर्बुद्धि भरत स्वयं सेना लेकर आया है। यह कोविदार युक्त विशाल ध्वज उसी के रथ पर फहरा रहा है।’ इसी प्रसंग से जाहिर है कि कोविदार वृक्ष युक्त ध्वज अयोध्या की पहचान और प्राचीन धरोहर रही है। हालांकि, भारतीय मानस पटल से रघुकुल का यह राज ध्वज बिसरा दिया गया था, जिसे रीवा के इतिहासकार ललित मिश्रा ने कई शोध के बाद खोजा है। इसके बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने अयोध्या के प्राचीन और गौरवशाली इतिहास के अनुरूप यही ध्वज फहराने का निर्णय लिया है। इसलिए दिया गया कोविदार ध्वज का नाम

कोविदार ध्वज के नाम से जाना जाएगा। इस ध्वज पर कोविदार वृक्ष का चिन्ह अंकित है। इसके साथ सूर्य और ऊं के चिन्ह को भी ध्वज में स्थान मिला है। कोविदार वृक्ष अयोध्या के रघुकुल वंश का प्रतीक चिन्ह है। सूर्यवंशी होने के नाते ध्वज में सूर्य के चिन्ह को स्थान दिया गया है। कोविदार वृक्ष श्रीराम के रघुवंश का प्रतीक चिन्ह है। इसे उनके वंश के तप और त्याग के प्रतीक के रूप में राम मंदिर के शिखर पर स्थान दिया जा रहा है। प्राण प्रतिष्ठा के समय ही राम मंदिर परिसर में कोविदार वृक्ष लगाए गए हैं, जो इस समय लगभग आठ से 10 फुट के हो चुके हैं। ध्वजारोहण के साथ ही इसके दर्शन भी शुरू होंगे, जो रामभक्तों को अयोध्या के प्राचीन गौरव का आभास कराएंगे। कथाओं के अनुसार कचनार को ही रघुकुल का वृक्ष माना गया था, लेकिन कई शोधों के बाद कोविदार की जानकारी हुई है।

पहला हाइब्रिड प्लांट था कोविदार

शोध के अनुसार हरिवंश पुराण में उल्लेख है कि महर्षि कश्यप ने पारिजात के पौधे में मंदार के गुण मिलाकर इसे तैयार किया था। यह संभवत: पहला हाइब्रिड प्लांट था। यह अभी भी उपलब्ध है। 15 से 25 मीटर तक ऊंचाई वाला यह वृक्ष फूल और फलदार होता है। इसमें बैगनी रंग के फूल खिलते हैं, जो कचनार के फूल जैसे होते हैं। इसका फल स्वादिष्ट और पौष्टिक माना जाता है। मंदिर बनने के बाद इस ध्वज को पुन: महत्व मिल रहा है, जो एक नए युग की शुरुआत का संकेत है। श्रीराम मंदिर अयोध्या में धर्म ध्वज स्थापना समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अभूतपूर्व स्तर पर सुरक्षा घेरा तैयार किया गया था। मंगलवार को भी सेना के हेलीकाप्टर ने अयोध्याधाम का हवाई निरीक्षण किया। सुरक्षा योजना के अंतर्गत उच्च पदस्थ अधिकारियों को रणनीतिक नेतृत्व के लिए तैनात किया गया है। सुरक्षा की कमान एटीएस व एनएसजी ने संभाली हुई थी। 6970 सुरक्षा कर्मियों का सुरक्षा घेरा से लेकर साइबर टीम तक मुस्तैद रही। एंटी-ड्रोन सिस्टम, स्नाइपर ड्यूटी, 90 तकनीकी विशेषज्ञों की तैनाती की गई थी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों, क्षेत्रीय अधिकारियों और निरीक्षकों की संख्या उल्लेखनीय है। विशेष सुरक्षा इकाइयों के रूप में बम डिटेक्शन टीम, डॉग स्क्वॉड, वीवीआईपी सुरक्षा निरीक्षण दल, ट्रैफिक प्रबंधन यूनिट, फायर यूनिट तथा रिस्पॉन्स टीम की जिम्मेदारी संवेदनशील बिंदुओं पर सुनिश्चित की गई। तकनीकी उपकरण जैसे माइंस टीम, बीडीएस यूनिट, एक्स-रे स्कैनिंग मशीन, सीसीटीवी मॉड्यूल, हाई रिस्पॉन्स वैन, पेट्रोलिंग यूनिट और एंबुलेंस यूनिट्स को भी नियुक्त किया गया। विशेष जांच के लिए हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्शन डिवाइस, वाहन माउंटेड स्कैनर तथा बैगेज एक्सरे स्कैनर का प्रावधान सुनिश्चित किया गया।

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