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महापंचायत में बिजलीकर्मियों ने भरी हुंकार, नौ अप्रैल को लखनऊ में हो सकता है आर-पार का एलान

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लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में सोमवार को मेरठ में बिजली महापंचायत का आयोजन किया। वहीं, जिलों में प्रदर्शन जारी रहा। पंचायत में जुटे बिजली कर्मियों और किसानों ने हुंकार भरी की किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं किया जाएगा। तय किया गया कि 9 अप्रैल को लखनऊ में होने वाली रैली में आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

मेरठ में हुई महापंचायत में प्रस्ताव पारित किया गया कि निजीकरण के लिए हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ निजीकरण किया जा रहा है और दूसरी तरफ अब तक पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों के राजस्व का आकलन भी नहीं किया गया है। इतना ही नहीं टीए की नियुक्ति में कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का प्रावधान भी हटा दिया गया। कहा, निजीकरण के बाद घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों की बिजली दरों में कम से कम तीन गुना वृद्धि हो जाएगी। मुंबई में निजीकरण है। वहां 500 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर 17 से 18 रुपये प्रति यूनिट बिजली के दाम है। जबकि यूपी में अधिकतम दाम 06.50 रुपये प्रति यूनिट है।

उपभोक्ता परिषद ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि सरकार के आठ साल पूरा होने पर निजीकरण का प्रस्ताव रद्द कर जनता और कार्मिकों को तोहफा दें। पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण प्रस्ताव इसलिए भी रद्द होना चाहिए क्योंकि इसमें नियमावली का उल्लंघन और भ्रष्टाचार की झलक है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सीएम को आठ वर्ष के कार्यकाल के लिए बधाई पत्र भेजते हुए उपभोक्ताओं का दर्द भी बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र 2022 को तैयार करने में 403 विधानसभा में चार करोड़ से अधिक लोगों से सुझाव लिया गया था। इसमें 42 जिलों के निजीकरण का मामला नहीं था। बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने 1934 में कहा था कि बिजली हमेशा सार्वजनिक क्षेत्र में होनी चाहिए

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