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हिंदू आचार संहिता: दहेज पर रोक, मृत्युभोज में सिर्फ 13 लोग; शादी की फिजूलखर्ची रोकने की खास व्यवस्था

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वाराणसी। हिंदू आचार संहिता अक्तूबर 2025 में सार्वजनिक होगी। पहले चरण में 356 पेज की आचार संहिता की एक लाख प्रतियां छपवाई और हिंदुओं के घर-घर तक पहुंचाई जाएंगी। इसके जरिये समाज को बांटने वाले लोगों को कड़ा संदेश दिया जाएगा।

काशी विद्वत परिषद के मुताबिक नई संहिता में शादियों की फिजूलखर्ची रोकने की व्यवस्था है। वैदिक परंपरा के अनुसार दिन में विवाह करने के निर्देश हैं। विवाह में कन्यादान के अलावा दहेज को पूरी तरह से रोका गया है। प्री वेडिंग पर भी रोक है। मृतक भोज के लिए संख्या तय की गई है। महज 13 लोगों को भोज कराकर परंपरा निभाई जा सकती है।

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि नई हिंदू आचार संहिता पर देश भर के संतों ने अपनी सहमति दी है। 21 विद्वानों की टीम ने 15 साल तक धर्मग्रंथों का अध्ययन किया और इसे अंतिम रूप दिया। शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य और देश भर के संतों की मुहर लगने के बाद इसे आम जनता तक पहुंचाने की रणनीति बनाई गई है।

महाकुंभ में इसे संतों के सामने रखा गया था। इसमें मंदिर के गर्भगृह में केवल अर्चकों के ही प्रवेश के अधिकार की बात कही गई है। मृतक भोज, जन्मदिन, घर वापसी और दलितों के लिए भी नियम बनाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि हिंदू समाज की कुरीतियों के साथ ही विवाह की व्यवस्था के विधान भी तय किए गए हैं। आम जनता के लिए दो पेज की सारांशिका की एक लाख प्रतियां प्रकाशन के लिए तैयार हैं। यह समाज को बांटने वालों के मुंह पर तमाचा होगी क्योंकि इसमें सर्वसमाज को एकजुट करने की बात की गई है।

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि अक्तूबर अंत तक सांस्कृतिक संसद में हिंदू आचार संहिता सार्वजनिक की जाएगी। इसे देश भर में एक लाख लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

देश के सभी धर्मस्थलों पर 40 बार हुई बैठक

हिंदू आचार संहिता को तैयार करने के लिए देश भर के धर्मस्थलों पर 40 बार बैठक हुई। मनु स्मृति, पराशर स्मृति और देवल स्मृति को आधार बनाकर स्मृतियों के साथ ही भागवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के प्रमुख अंशों को शामिल किया है। 70 विद्वानों की 11 टीम और तीन उप टीम बनाई गई थी। हर टीम में उत्तर और दक्षिण के 5-5 विद्वान थे।

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि नई संहिता में कन्या भ्रूण हत्या को पाप बताया गया है। पुरुषों की तरह ही महिलाओं के समान अधिकार की बात की गई है। व्यवस्था है कि महिलाएं भी यज्ञ आदि कर सकेंगी। ।संहिता से आसान होगी घर वापसी की राह : प्रो रामनारायण ने बताया कि हिंदू आचार संहिता में घर वापसी की राह को आसान किया गया है। कोई अगर हिंदू धर्म में वापस आना चाहता है तो उसके लिए सरल पद्धति दी गई है। जो भी ब्राह्मण उनकी शुद्धि कराएगा वह उसे अपना गोत्र देगा।

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