रक्षाबंधन के त्योहार पर दिखता है भद्रा का साया,
1 min readभांवरकोल /गाजीपुर। रक्षाबंधन यानि कि भाई-बहन का सबसे बड़ा त्योहार। श्रावण माह की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 19 अगस्त, दिन, सोमवार को मनाया जायेगा। इस दिन अपने भाई की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं, तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं बदले में भाई अपनी बहन को उम्र भर रक्षा का वचन और उपहार देता है। बताया जा रहा है कि इस बार रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा का साया आने वाला है। कहा जाता है कि भाई को भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। वहीं पौराणिक कथाओं की माने तो शूर्पणखा ने रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी और पूरे रावण साम्राज्य का विनाश किया था। इस साल रक्षाबंधन पर भद्राकाल को लेकर क्षेत्र के कनुवान गांव निवासी पंडित बबुआ पाण्डेय का कहना है कि इस बार सोमवार, 19 अगस्त का दिन पड़ रहा है। मगर श्रावण शुक्ल चतुर्दशी 18 अगस्त को रात्रि 2 बजे 21 मिनट से ही भद्रा प्रारंभ होगी। बताया जा रहा है कि इसका समापन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा सोमवार, 19 अगस्त को दोपहर 1 बजे 24 मिनट पर होगा।इसलिए भद्रा के बाद ही भाई की कलाई पर राखी बांधे।वहीं अन्य पंडितो का कहना है कि रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। वहीं भद्रा का वास पाताल लोक में होने की वजह से बहुत अशुभ नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही भद्रा जब पाताल या फिर स्वर्ग लोक में बसती है तो इसका पृथ्वी निवासियों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन फिर भी कुछ घंटे में राखी बांधने से भद्रा काल समाप्त हो गया और बाद में ही भाई की कलाई पर राखी बंधी जाए तो अच्छा होगा।