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इस जिले में पुलिस सुरक्षा में गांव लौटे दूसरे समुदाय के छ: परिवार

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हर दरवाजे पर तैनात किये गये सिपाही, बवाल के बाद छोड़ दिये थे गांव
बरेली। बरेली के शाही थाना क्षेत्र के गौसगंज गांव में 19 जुलाई को हुए सांप्रदायिक बवाल के बाद दूसरे समुदाय के लोग अपने घरों को बंद कर चले गए थे। दहशत के कारण पलायन करने वाले छह परिवारों को पुलिस ने सोमवार को सुरक्षा देते हुए गौसगंज में बुलाकर दोबारा बसाया। सोमवार की सुबह करीब 11 बजे दूसरे समुदाय के कई परिवार थाना पर पहुंचे। उन्होंने पुलिस से सुरक्षा और गांव में दोबारा बसाने की मांग की। उनकी मांग पर सीओ सिटी पंकज कुमार और सीओ मीरगंज गौरव कुमार ने गंभीरता से विचार विमर्श करते हुए ऐसे छह परिवारों को चिन्हित किया, जो किसी भी मुकदमे में वांछित नहीं रहे हैं। इनमें अख्तर अली का परिवार चार सदस्यों के साथ, रुखसाना और उनकी पुत्री, फरजाना, फरीदन व उनके पुत्र, साहिल अपनी मां रुखसाना और दो भाइयों के साथ एवं तस्लीम का परिवार पुलिस सुरक्षा में वापस अपने घर पहुंचे। सभी ने गांव पहुंचकर राहत की सांस ली। प्रत्येक परिवार के दरवाजे पर सुरक्षा के लिए एक सिपाही की तैनाती की गई है। गांव में पुलिस चौकी स्थापित करके सीसीटीवी कैमरा से निगरानी की जा रही है। इस मौके पर सीओ प्रथम पंकज कुमार, सीओ मीरगंज गौरव कुमार, उप जिलाधिकारी तृप्ति गुप्ता, सिटी मजिस्ट्रेट राजीव शुक्ला भी मौजूद रहे। दूसरी ओर दूसरे पक्ष के लोगों में पुलिस द्वारा समुदाय विशेष के परिवारों को बसाने पर आक्रोश दिखा। उनका कहना है कि पूर्व प्रधान हीरालालने बताया कि चार माह से उनकी किसी मांग पर पुलिस व अन्य प्रशासन के लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं। ना ही उनको लाइसेंस प्रदान किया गया है। ना ही मृतक बेटे की पत्नी को सरकारी नौकरी दी गई है। ऐसे में दूसरे समुदाय के लोग से सामंजस्य बन पाना मुश्किल है। 19 जुलाई को हुए सांप्रदायिक बवाल में पूर्व प्रधान हीरालाल के पुत्र तेजपाल की मौत हो गई थी और दर्जनभर लोग घायल हुए थे। इसमें पूर्व प्रधान हीरालाल की तहरीर पर दूसरे समुदाय के 50 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद से आरोपी गांव छोड़कर चले गए थे। इस मामले में फिलहाल, करीब 50 लोग जेल में बंद हैं।

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