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VC पीके शर्मा की नवीनीकरण की सभी कोशिशे हुईं फेल, राजभवन ने अगले कुलपति का निकाला विज्ञापन

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०राजभवन ने निकाला नये कुलपति के लिए विज्ञापन

०विवादित रहा प्रोफेसर पीके शर्मा का पूरा कार्यालय

० दिसंबर में पूरा हो रहा कुलपति का कार्यकाल

शार्प रिपोर्टर/विशेष संवाददाता

आजमगढ़/लखनऊ। आखिरकार महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ के नये कुलपति के लिए विज्ञापन निकल गया। इसी के साथ वर्तमान अंतरिम कुलपति प्रोफेसर पीके शर्मा के नवीनीकरण करा लेनें के मंसूबे पर पानी फिर गया।

  बताते चलें कि पिछले 22 अगस्त को राजभवन ने महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ के नियमित कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला है। वर्तमान अंतरिम कुलपति पीके शर्मा का कार्यकाल दिसंबर -2024 में पूरा हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि प्रोफेसर पीके शर्मा अपने अंतिम प्रयास में थे कि आजमगढ़ का विज्ञापन न निकले बल्कि बिना विज्ञापन निकाले ही अंतरिम कुलपति का कार्यकाल बढ़ाते हुए नवीनीकरण कर दिया जाए। इसके लिए इन्होंने अपनी पूरी ताकत भी लगायी थी। विभागीय उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के चक्रमण करते हुए भी देखें गयें। उच्च शिक्षा विभाग में भी सिफारिश करवाएं लेकिन राजभवन के सामने चल नहीं सकी।

बल्कि मैडम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर कुलाधिपति राज्यपाल सचिवालय के अपर मुख्य प्रमुख सचिव सुधीर महादेव बोबडे ने पिछले दिनों 22अगस्त को महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ के नियमित कुलपति के लिए विज्ञापन निकाल दिया।

राजभवन का आदेश

महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ के कुलपति पद पर मौलिक नियुक्ति के लिए राजभवन ने विज्ञापन निकाला। इसके पहले शाकांभरी राज्य विश्वविद्यालय सहारनपुर और राजा महेन्द्र सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़ के कुलपति के लिए भी विज्ञापन निकाला गया है।

विवादित रहा प्रोफेसर पीके शर्मा का कार्यकाल:

प्रोफेसर पीके शर्मा, कुलपति।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जब चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के प्रोफेसर पीके शर्मा को आजमगढ़ विश्वविद्यालय का कुलपति बनाकर भेजा तो आजमगढ़ और मऊ के लोगों को लगा कि आजमगढ़ उच्च शिक्षा में नये प्रतिमान को स्थापित करेगा। शोध और ज्ञान के नये गवाक्ष खुलेंगे लेकिन बहुत जल्द ही लोगों की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया जब इस अंतरिम कुलपति का नाम भ्रष्टाचार और शैक्षणिक दुर्व्यवस्थाओं के साथ जुड़ने लगा। शिब्ली की 52 से अधिक सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी करना और कथित रूप से इन अवैध नियुक्तियों को भी वैध करार देने के मामले इस कुलपति का नाम मीडिया में खुब चर्चा में रहा है। जिसको लेकर मामला माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज में चल रहा है और यह कुलपति भी पक्षकार बनाएं गयें हैं।इसी के साथ लगभग दर्जन भर शिकायतकर्ताओं ने राजभवन और सरकार के यहां इस विवादित कुलपति के विरुद्ध शिकायतों को भेजा था। कुछ पर जांचें भी हुई और कुछ पर प्रचलित हैं। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक प्रमुख के रूप में पीके शर्मा कुछ रेखांकित करने योग्य नहीं स्थान बना पाए। जबकि इनके विरुद्ध एक शिकायतकर्ता और भाजपा के वरिष्ठ नेता जनार्दन सिंह गौतम ने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और राजभवन से लिखित शिकायत की, जो इनके नैतिक चरित्र को लेकर है। यह बड़ा गंभीर शिकायत थी, एक शैक्षणिक प्रमुख के चरित्र को लेकर। जिसकी चर्चा जोरों पर रही।

 

बताते हैं कि इस प्रकरण पर जनार्दन सिंह गौतम ने शपथपत्र भी प्रेषित किया है।जबकि राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह पुष्कर कहते हैं कि ऐसे कुलपति को तो स्वत: हट जाना चाहिए , जिसके ऊपर भ्रष्टाचार से लेकर नैतिक कदाचार के आरोप लग चुके हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति को चरित्रवान और ईमानदार होना चाहिए। हमें आजमगढ़ विश्वविद्यालय को लूटने से बचाना चाहिए। यह मेरठ से विश्वविद्यालय को लूटने के लिए आए हुए हैं।

जबकि इस संबंध में जब कुलपति का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। अगर भविष्य में भी उनका पक्ष आता है तो जरूर प्रकाशित किया जाएगा।

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