44 लाख के गबन और 52 सहायक प्रोफेसर नियुक्तियों में भ्रष्टाचार सहित राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला सदन में उठा
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● एमएलसी रामसूरत राजभर ने नियम -115 के तहत उठाया शिबली कालेज के भ्रष्टाचार का मामला
● सभापति ने सरकार को कार्रवाई करने का दिया निर्देश।
आजमगढ/लखनऊ। आज उत्तर प्रदेश विधान मंडल के मॉनसून सत्र में नियम 15 के तहत विधान परिषद में शिबली कालेज में व्याप्त भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला एक बार फिर गरमाया।
एमएलसी रामसूरत राजभर ने शिबली के मामले को उठाते हुए कहा कि- आजमगढ़ के चर्चित अल्पसंख्यक संस्था शिब्ली नेशनल डिग्री कालेज में बीते 15 अगस्त-24 (स्वतंत्रता दिवस) समारोह में इसके प्राचार्य अफसर अली द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का सरेआम अपमान करने के घणित और अपराधिक कृत्य किया गया। किसी देश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, उस राष्ट्र का अपमान होता है और यह अपमान प्राचार्य द्वारा जानबूझकर किया गया है। इससे पहले भी कई राष्ट्रीय उत्सवों और दिवसों पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान प्राचार्य द्वारा किया गया है।
उन्होने आगे कहा कि इस प्रकरण की जांच कमेटी की रिपोर्टों के बाद घटना सही पायी गई। प्राचार्य के ऊपर लगे सभी आरोपों के दोष सिद्ध होने पर भी डीएम और एसपी आजमगढ़ द्वारा कोई एफआईआर नहीं कराया गया। यही नहीं उच्च शिक्षा विभाग स्तर से भी इस आपराधिक कृत्य पर एफआईआर नहीं कराया गया, उल्टे शिबली का मैनेजमेंट आरोपी प्राचार्य को ही बचाने में लगा रहा।
माननीय सदस्य ने सदन को बताते हुए आगे कहा कि
इसी तरह के एक अन्य मामले में भी यही आरोपी प्राचार्य शिबली कालेज के एसएसी एसटी के छात्रों के जमा फीस के खाते से शासनादेश के विरुद्ध जाकर 44 लाख रुपए को फर्जी ढंग से आहरित कर गबन और कमीशनखोरी के उद्देश्य से भुगतान किया गया।
उन्होंने आगे कहा कि पहले भी 52 सहायक प्रोफेसर नियुक्ति में भी इसी प्राचार्य और मैनेजमेंट द्वारा भारी पैमाने पर शासनादेश के विरुद्ध जाकर बिना लिखित परीक्षा के ही केवल इन्टरव्यू पर अपने सगे रिश्तेदारों और पहले से तय अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर भ्रष्टाचार किया गया। 17 दिसंबर 2024 को इसी सदन में राष्ट्रीय ध्वज के गौरव और उसके अपमान से जुडे प्रश्न को मेरे द्वारा नियम-115 के अन्तर्गत उठाया गया था। बावजूद कोई गंभीर कार्रवाई नहीं कि गयी।
सदस्य विधान परिषद ने सरकार से मांग किया कि
राष्ट्रीय गौरव,राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के अपमान और अन्य गंभीर मामलों में दोषी सिद्ध हो चुके प्राचार्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोपी प्राचार्य को पदच्युत कर वैधानिक, विभागीय तथा दंडात्मक कार्यवाही की जाए। जिससे कि अल्पसंख्यक संस्थानों के नाम पर कोई खेल न हो सके और एक नजीर बन सके।
एमएलसी रामसूरत राजभर के नियम 115 के अन्तर्गत उठाए मामले में प्रभावी वैधानिक कार्रवाई के लिए माननीय सभापति ने सरकार को निर्देश दिया।
