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बिजली निजीकरण के विरोध में कर्मचारी हुए लामबंद, देशव्यापी आंदोलन की तैयारी; मुंबई में होगी बैठक

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लखनऊ। प्रदेश में बिजली के निजीकरण का मुद्दा गर्माता जा रहा है। मुंबई में होने वाली डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट (डीयूएम) का अभियंता विरोध करेंगे। निजीकरण का फैसला किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके विरोध में अब देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह फैसला रविवार को नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की बैठक में लिया गया।

बैठक में देशभर से ऑनलाइन जुड़े अभियंता संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि 4 एवं 5 नवंबर को मुंबई में डीयूएम हो रही है। इसका मूल उद्देश्य निजीकरण है। इसमें केंद्र और प्रदेश सरकारों की बिजली के निजीकरण की नीति पर चर्चा होगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश, पुडुचेरी में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया तथा महाराष्ट्र में निजी घरानों को समानांतर लाइसेंस देने एवं चंडीगढ़ के निजीकरण का विरोध किया जाएगा। इसके लिए देशव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा। तय किया गया कि मुंबई में जहां पर यह मीट हो रही है, वहां हजारों बिजली कर्मी पहुंचेंगे और आयोजन स्थल पर ही जोरदार प्रदर्शन करेंगे।

 इस दौरान केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर को ज्ञापन देते हुए मांग करेंगे कि निजीकरण रद्द किया जाए। बैठक को ऑल इंडिया पाॅवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, पी रत्नाकर राव, आरके त्रिवेदी, मोहन शर्मा, कृष्णा भौयूर, सुदीप दत्त, सुभाष लांबा, समर सिन्हा आदि ने संबोधित किया।

नीरज बिंद बने अध्यक्ष, शिवम चौधरी सचिव

 निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के बीच रविवार को राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन पूर्वांचल इकाई का नए सिरे से गठन किया गया। इसमें नीरज बिंद को अध्यक्ष और शिवम चौधरी को सचिव चुना गया। इसके अलावा राम सिंह उपाध्यक्ष, शिवब्रत यादव संगठन सचिव,ज्योति भास्कर सिन्हा प्रचार सचिव, अविनाश कुमार वित्त सचिव एवं अरुण कुमार पांडे लेखा निरीक्षक चुने गए।

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