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हाईकोर्ट ने कहा – भूस्वामी को उच्चतम बाजार मूल्य पर मुआवजा पाने का अधिकार

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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अधिग्रहीत भूमि के लिए भूस्वामी उच्चतम बाजार मूल्य पर मुआवजा पाने का अधिकारी है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के एवज में मिलने वाले मुआवजे की राशि को 26624 रुपया प्रति बीघा से बढ़ाकर 3 लाख 41 हजार 2 सौ 40 रुपये प्रति बिस्वा कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति संदीप जैन की एकल पीठ ने रूप नारायण और अन्य की अपील पर दिया है।

मिर्जापुर के नटवां गांव निवासी अपीलकर्ता रूप नारायण की छह बीघा 2 बिस्वा भूमि का उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड के 220 केवी सब-स्टेशन के निर्माण के लिए अधिग्रहीत किया गया। कलेक्टर ने 28 सितंबर 1993 को 26,624 रुपया प्रति बीघा की दर से मुआवजा निर्धारित किया। साथ ही भूमि पर पर बने एक कुएं के लिए 3,076 रुपये, घर के लिए 13,600 रुपये और तीन आम व एक आंवला पेड़ के लिए 10,680 रुपये का मुआवजा तय किया था।

भूस्वामी ने इसे कम मानते हुए विशेष न्यायाधीश मिर्जापुर कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि विशेष न्यायालय ने 08 अगस्त 2007 के आदेश से मुआवजे को बरकरार रखा। भूस्वामी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि भूस्वामी उच्चतम बाजार मूल्य को दर्शाने वाले बिक्री विलेख के आधार पर मुआवजा पाने का हकदार है।

कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद मेहरावल खेवाजी ट्रस्ट और मनोहर एवं अन्य में स्थापित सिद्धांत को दोहराया कि भूस्वामी अधिग्रहण के समय के आस-पास हुए विक्रय में दर्शाए गए उच्चतम मूल्य को पाने का हकदार है। न्यायालय ने अधिग्रहण के समय 34,125 रुपये प्रति बिस्वा की दर से चार बिस्सा बेची गई जमीन के विक्रय विलेख का संज्ञान लिया।

न्यायालय ने हॉरमल बनाम हरियाणा राज्य के मामले में दिए गए निर्णय का हवाला दिया कि जहां भूमि का लेनदेन छोटे क्षेत्र का है, वहां बड़े क्षेत्र के लिए मुआवजा निर्धारित करने के लिए अधिकतम 50 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है। ऐसे में कोर्ट ने अधिग्रहित भूमि का बड़ा क्षेत्र होने के चलते वास्तविक बाजार मूल्य 17,062.50 रुपया प्रति बिस्वा निर्धारित किया। इसके साथ ही कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए भूस्वामियों को अधिग्रहित भूमि के लिए 17,062.50 प्रति बिस्वा की दर से बढ़ा हुआ मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

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