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इन छिले पांवों ने दिल्ली को हिला दिया!

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– डॉ अरविन्द/ लद्दाख की दिल्ली पदयात्रा

 ये छिले पांव और चोटिल घाव केवल Sonam Wangchuk के नहीं है, यह भारत के उस हिस्से का घाव है, जिसे लद्दाख कहते हैं। यह भारत के उस लोकतंत्र का घाव है जिसकी पारिस्थितिकी तंत्र और वनाच्छादित पहाड़ के जीवन के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की जा रही है। पहाड़ की जैव-विविधता के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। जिसके लिए पहाड़ दिल्ली कूच कर गया। दिल्ली को आगाह करने।लद्दाख से दिल्ली की पदयात्रा आसान तो नहीं थीं, लेकिन आसान काम तो कोई भी कर लेता है। सोनम वांगचुक तो गांधी के सिपाही हैं। गांधी के रास्ते पर चलकर 2 अक्टूबर को राजघाट पर गांधी के समाधि तक पहुंचना था। 3को जंतर-मंतर पर सभा थी।

जब चले तो साथ में पूरा लद्दाख ही चल दिया।एक लंबी पदयात्रा.. दिल्ली मार्च!! दिल्ली हिल गयी। निहत्थे सामाजिक कार्यकर्ता, इंजीनियर, रमन मैग्सेसे अवार्डी और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक के दिल्ली मार्च भर से हिल गयी। दिल्ली ने वांगचुक को दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने से पहले ही 30 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया। लद्दाख ने दिल्ली में हलचल मचा दिया । लगभग 150 गांधीवादी पदयात्रियों ने रायसीना हिल्स को भीतर तक हिला दिया। पहाड़ ने बता दिया हमें मत छेड़ो। हम हिमालयन जैव-विविधता हैं। हमें छेड़ोगे तो दिल्ली ही नहीं पूरा देश संकट में आ जाएगा। अब दिल्ली को यह बात कितनी देर में समझ में आए, देखना है। मैदानी जीवन को पहाड़ों की ताकत देर से समझ में आती है।सोनम वांगचुक वहीं वास्तविक हीरो हैं, जिनके चरित्र को अमिर खान ने ‘थ्री इडियट’ फिल्म में जिया है।
आखिर में पहाड़ देखने से पहले ऊंट बलबलाता बहुत है…!

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