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प्रदेश की आठ इकाइयां हुईं बंद, बाहर से बिजली खरीदने का आरोप, उठा 24 घंटे बिजली न देने का मुद्दा

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लखनऊ। प्रदेश में आठ बिजली उत्पादन इकाइयां बंद कर दी गई है। इसके पीछ कम मांग होना बताया जा रहा है, लेकिन एक्सचेंज से बिजली भी खरीदी जा रही है और उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली भी नहीं दी जा रही है। उपभोक्ता परिषद के इस पर विरोध जताया है। उपभोक्ता अधिकार नियम 2020 की धारा 10 का उलंघन करार दिया है। उन्होंने ऊर्जा मंत्रालय में नॉर्दर्न रीजन लोड डिस्पैच सेंटर (एनआरएलडीसी) के कार्यकारी निदेशक नबरून राय को भी पूरे मामले की जानकारी देते हुए हस्तक्षेप की मांग की है।उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली पाने का अधिकार है। इसके बाद भी तीन दिन से ग्रामीण इलाके में छह घंटे की कटौती की जा रही और 18 घंटे आपूर्ति की जा रही है। इसमें भी विभिन्न कारणों से ग्रामीणों को 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। कार्पोरेशन ने बिजली की मांग कम होने की बात कहते हुए आठ उत्पादन इकाइयों को बंद कर दिया है। दूसरी तरफ पावर एक्सचेंज से हर दिन करीब 15 से 20 लाख की बिजली खरीद रहा है। जबकि खुद की उत्पादन इकाइयां चलाने से इससे कम मूल्य में बिजली मिल सकती है। कम मूल्य में बिजली देने के एवज में ही सरकार की ओर से पावर कार्पोरेशन को अनुदान दिया जाता है।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल कर हस्तक्षेप की मांग की है। इसमें बताया कि कम बिजली मांग बताकर आठ उत्पादन इकाइयों को बंद करना मनमानी है और उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी है। जिन मशीनों को बंद किया गया है उनकी क्षमता करीब 1800 मेगावाट है। कार्पोरेशन एक मशीन चलाकर अपनी जरूरत को पूरा कर सकता है। ऐसे में उसे एक्सचेंज से महंगी बिजली नहीं खरीदनी पड़ेगी।

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