किसी राष्ट्र के ध्वज का अपमान उस राष्ट्र का अपमान होता है… यह राष्ट्रद्रोह के समान है!
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शिब्ली के प्राचार्य की गर्दन तो नपेंगी, लेकिन उससे पहले कइयों की और नपेंगी..?
किसी राष्ट्र के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना, उस राष्ट्र का अपमान करना होता। उसके नागरिकों के राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान और समर्पण का अपमान होता है। यह उस राष्ट्र के प्रति राष्ट्रद्रोह के समान है।
आजमगढ़ का चर्चित अल्पसंख्यक संस्था शिब्ली नेशनल कालेज आजमगढ़ के भ्रष्टाचारी और अज्ञानी प्राचार्य अफसर अली ने यह अपराध रात के अन्धरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले में सरेआम स्वतंत्रता दिवस समारोह के समय किया है । जो मजिस्ट्रेटी जांच में सिद्ध हो चुका है। जिस पर कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश शासन का गृह विभाग आदेश दे चुका है। डीएम की ओर से मैनेजर को आदेश, प्राचार्य के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई करने को दिया जा चुका है। बावजूद मोटी खाल वाले मैनेजमेंट ने समय-सीमा बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि समय बढ़ाने का दरख्वास्त दे दी।जब डीएम ने अब और अधिक समय नहीं दिया तो आनन-फानन में 30 अक्टूबर को आपात बैठक बुलाई गई। जिसमें बैठक बुलाने वाले सचिव/प्रबंधक ही गायब बताएं जा रहें हैं। मजे की बात तो यह बताई जा रही है कि इस बैठक ने राज्य सरकार और प्रशासन की शक्तियों को चुनौती देते हुए मजिस्ट्रेट की त्रि-सदस्यीय जांच आख्या और डीएम के आदेश के विरुद्ध जाकर शिब्ली के उन अध्यापकों की एक जांच टीम गठित करने का निर्णय लिया, जिसका वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारी स्वयं यही आरोपी प्राचार्य है। जो अबतक पदासीन है । अब अपने बास के विरुद्ध जांच करना और आरोप सिद्ध करना किस प्राध्यापक के बूते की बात होगी। प्राचार्य के विरुद्ध स्वत: संज्ञान लेकर कर कार्रवाई करने का मैनेजमेंट के पास अगर इतना ही नैतिक बल था तो 15 अगस्त की वायरल वीडियो को अबतक संज्ञान में क्यों नहीं लिया। जब शासन और प्रशासन ने जांच करके कार्रवाई करने का आदेश दे दिया तो यह नौटंकी की जा रही है। यह तो राजसत्ता के समानांतर अपनी सत्ता और शक्ति का प्रदर्शन है। जो सरकार की कानून व्यवस्था को चुनौती है।
दरअसल यहां आरोपी और भ्रष्टाचारी प्राचार्य अफसर अली के आगे नर्तन करने वाला शिब्ली का मैनेजमेंट उसके तिकड़मी तबले की थाप पर नर्तन करने पर अभिशप्त है। क्यों कि पिछले दिनों 52 सहायक प्रोफेसर नियुक्तियों में दोनों का काला सफेद एक साथ हुआ है और दोनों इस भ्रष्टाचार के हमराज़ हैं । वह अपने बचाव के लिए मैनेजमेंट की बलि चढ़ा देगा, बावजूद कानून की की ज़द से बाहर नहीं निकल पाएगा। अब यह मुद्दा केवल शिब्ली भर का नहीं रहा।यह आजमगढ़ की क्रांतिकारी सरजमीं का राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। 60 लाख की आबादी का राष्ट्रीयता का मुद्दा बन चुका है। सत्ता दल से लेकर विपक्ष तक का मुद्दा बन चुका है। यह प्रदेश का मुद्दा बन चुका है। प्राचार्य की गर्दन तो नपेंगी ..। लेकिन उससे पहले और किसकी-किसकी नपेंगी यह देखने वाली बात है।