नहीं रहे पूरब के आक्सफोर्ड के छात्र नेता इंदु प्रकाश सिंह!
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– मूलतः आजमगढ़ के रहने वाले थें।
– छात्र संघ के अध्यक्ष और महामंत्री रहे।
-वीरेन्द्र सिंह
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व महामंत्री व पूर्व अध्यक्ष इंदू प्रकाश सिंह अब नहीं रहे। काफी दिनों से कैंसर रोग से पीड़ित थे। आज़ दिनांक 27 दिसंबर दिन शुक्रवार को प्रातः 4:00 बजे लौकिक जगत को छोड़कर परमात्मा की श्री चरणों में प्रस्थान कर चुके इंदुप्रकाश सिंह मूलत आजमगढ़ जनपद के बहलोलपुर, मेहनाजपुर तरवा के रहने वाले थे। इंद्र प्रकाश सिंह के पिता का नाम स्वर्गीय शंभू नाथ सिंह, बड़े भाई कर्नल ओमप्रकाश सिंह, दूसरे स्थान पर स्वर्गीय इंदु प्रकाश सिंह उर्फ नेता जी, एक बहन गीता सिंह जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पत्राचार संस्थान में कार्यरत थी एंव सबसे छोटे भाई सुधीर कुमार सिंह उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अधिवक्ता है। इंदुप्रकाश सिंह आजमगढ़ जनपद से प्रयागराज में 1980 में अध्ययन करने हेतु आए थे। राजनीति के खिलाड़ी हेमंती नंदन बहुगुणा के सानिध्य में आकर 1983 में राजनीति का ककहरा सीखना शुरू कर दिया था। सन् 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय जो पूरब के ऑक्सफोर्ड के नाम से जाना जाने वाला के छात्र संघ में महामंत्री का पहली बार चुनाव लड़े और दूसरे स्थान पर रनर थे। इसी क्रम में छात्रों की रहनुमाई और संघर्षों के नाम से जनमानस में विख्यात स्वर्गीय इंदु प्रकाश सिंह 1987 में रिकार्ड मतों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के महामंत्री चुने गए। जहां तक मुझे याद है लगभग 2100 वोटो से विजई घोषित हुए थे। उस दौर में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महामंत्री एवं अध्यक्ष की हैसियत विधायक और सांसदों से बढ़कर हुआ करती थी। 1995 में लगभग 2200 वोटो से रिकार्ड मतों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष चुने गए थे। छात्रों का जुलूस हिंदू हॉस्टल से जब चलता था तो एक छोर हिंदू हॉस्टल का आखिरी रहता था तो प्रारंभिक छोर की लंबाई लगभग ढाई किलोमीटर की रहती थी। सौभाग्य से उनके चुनाव के संचालन समिति मैं मैं भी रहा करता था। तत्कालीन समय में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक नारा छात्रों के बीच में सरेआम हो चुका था कि यूनिवर्सिटी का एक प्रकाश, इंदु प्रकाश इंदु प्रकाश। छात्रों की रहनुमाई एवं छात्रों की समस्याओं के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन व जिला प्रशासन से दो हाथ करने में कभी भी पीछे नहीं रहते थे। एक बार मेरी छोटी बहन का शल्य चिकित्सा के माध्यम से ऑपरेशन होना था। मैं उनसे उनकी आवाज गोविंदपुर मिलने गया उन्होंने एक कागज में स्वरूप रानी अस्पताल के सीएमएस एनपी सिंह के लिए एक पत्र लिखा एवं प्लास्टिक सर्जन तत्शत मिश्रा को अपने लैंडलाइन से फोन करके कहा कि वीरेंद्र मेरा छोटा भाई है इसकी छोटी बहन का ऑपरेशन होना है पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। इस तरह की बहुत सारे वाक्या मेरे साथ हैं जिसको लिखेगा तो शब्द कम पड़ जाएंगे। विगत वर्षों से कैंसर रोग से ग्रसित थे। विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष रहे राणा अजीत प्रताप सिंह ने उनकी मदद हेतु मुहिम शुरू कराया यह मुहिम देवदूत वानर सेना के पिछड़ा वर्ग कल्याण के डिप्टी डायरेक्टर अजीत प्रताप सिंह ने भी हाथों-हाथ थाम लिया। लाखों-लाख रूपयों से लोगों ने इंदुप्रकाश के इलाज के लिए मदद किया परंतु ईश्वर के आगे किसी का बस नहीं चलता। इंदुप्रकाश के ऊपर राजनीतिक संरक्षण पूर्व प्रधानमंत्री बीपी सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह पूर्व मुख्यमंत्री व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव एवं हेमंती नंदन बहुगुणा के सानिध्य में जन समस्याओं को लड़ते रहते थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष, पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह या लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से उनके मधुर संबंध थे। इंदुप्रकाश सिंह उच्च न्यायालय में स्टैंडिंग काउंसिल के साथ-साथ जनपद न्यायालय में पास्को कोर्ट के मुकदमे को भी लड़ते थे। दो बेटियां डॉक्टर गरिमा सिंह और महिमा सिंह और एक पुत्र ऋषभ सिंह हैं। दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। पुत्र बीटेक करके सिविल सेवा की तैयारी में संलग्न है। आज 27 दिसंबर को सायं 4:00 बजे उनके निज निवास गोविंदपुर से उनकी शव यात्रा रसूलाबाद घाट को प्रस्थान करेगी। जन सरोकारी, हर दिल अजीज नेता इस दुनिया को छोड़कर चल बसा। हम सभी आज की उनकी अंतिम शव यात्रा में रसूलाबाद घाट पर 4:00 बजे अवश्य आए। अंत में अश्रुपूरित श्रद्धांजलि के साथ बीरेंद्र सिंह पत्रकार प्रयागराज
