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केवल 100 रुपये में होगा स्टाम्प में कमी के मामलों का समाधान, 31 मार्च तक प्रभावी रहेगी योजना

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में लंबित स्टाम्प वादों के त्वरित निस्तारण और राजस्व वसूली में तेजी लाने के उद्देश्य से ‘स्टाम्प कमी समाधान योजना’ को पुनः लागू करने का निर्णय लिया है। यह योजना 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी। इसके तहत पक्षकार मात्र 100 रूपए के न्यूनतम अर्थदंड और नियमानुसार ब्याज अदा कर लंबित वादों का समाधान करवा सकते हैं।

स्टांप तथा पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने ये जानकारी दी। बुधवार को विधान भवन में प्रेसवार्ता में उन्होंने बताया कि स्टांप पंजीयन विभाग द्वारा एकमुश्त समाधान योजना भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के तहत लंबित मामलों के निस्तारण के लिए तैयार की गई है। राज्य के स्टाम्प कलेक्टर और सीसीआरए के न्यायालयों में हजारों मामले लंबित हैं, जिनसे राज्य को राजस्व की क्षति हो रही है। इन वादों का शीघ्र निपटारा न केवल राज्य के राजस्व में वृद्धि करेगा, बल्कि जनता को न्याय में देरी और आर्थिक बोझ से भी राहत प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अपेक्षा के अनुसार शासन को जनता के लिए सुगम बनाने की पहल के अंतर्गत एकमुश्त समाधान योजना संचालित की जा रही है। इससे पूर्व स्टाम्प कमी के मामलों में चार गुना तक का अर्थदंड वसूला जाता था, जो पक्षकारों के लिए भारी आर्थिक बोझ बन जाता था। नई योजना के तहत यह अर्थदंड घटाकर मात्र 100 रुपये कर दिया गया है। इससे पक्षकारों को आर्थिक राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त, वाद लंबित रहने से बढ़ने वाले ब्याज का बोझ भी कम होगा।

योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी संबंधित न्यायालय पक्षकारों को नोटिस भेजेंगे, ताकि उन्हें योजना की जानकारी मिल सके। इच्छुक पक्षकार निर्धारित प्रारूप में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। संबंधित अधिकारी आवेदनों पर एक सप्ताह के भीतर तिथि निर्धारित कर आवश्यक कार्यवाही करेंगे। इससे न केवल वादों की संख्या घटेगी, बल्कि जनता को त्वरित समाधान का लाभ मिलेगा। योजना के तहत राज्य की राजस्व आय में भी वृद्धि होगी। समाधान प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी, जिससे जनता में विश्वास बढ़ेगा।

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