शिब्ली में 44 लाख ही नहीं, जांच कमेटी ने 144 लाख के गबन का किया खुलासा
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●कमिश्नर के आदेश पर सीडीओ की चार सदस्यीय जांच टीम का खुलासा
● बोर्ड आफ रेवन्यू लखनऊ को उच्च स्तरीय जांच के लिए अपर आयुक्त वित्त वाराणसी ने भेजा पत्र।
आजमगढ के चर्चित अल्पसंख्यक संस्था शिब्ली नेशनल पीजी कालेज इन दिनों लूट खसोट और भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है। 52 सहायक प्रोफेसर नियुक्ति घोटाले का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि 144 लाख का एक नया घोटाला कमिश्नर के आदेश पर जांच में सामने आया है।
कमिश्नर आजमगढ ने दी आजमगढ मुस्लिम एजूकेशन सोसाइटी के सदस्य फैजान अहमद की 29 जनवरी की शिकायत पर मुख्य विकास अधिकारी को जांच करने का आदेश दिया था।
बताते चलें कि शिकायत में उल्लेख किया गया था कि शिब्ली के प्राचार्य अफसर अली ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों का जमा शुल्काय 44 लाख का फर्जी ढंग से आहरित कर गबन कर लिया। इसके अलावा आडिट आपत्तियों के अनियमितता का आरोप लगा।
आयुक्त के आदेश पर सीडीओ आजमगढ ने जिला विकास अधिकारी, मुख्य कोषाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक और आरएचइओ की संयुक्त जांच कमेटी बना दी।
कमेटी ने अपनी जांच आख्या में स्पष्ट कर दिया कि महाविद्यालय में शुल्काय से प्राप्त धनराशियों के रख-रखाव व संचालित खाते से भुगतान के संबंध में शासनादेशों और वित्तीय नियमों के अनुपालन में घोर अनियमितता बरती गई है। यही नहीं कमेटी ने 44 लाख के स्थान पर 144 लाख का गबन पाया।
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व्यापक भ्रष्टाचार को देखते हुए कमिश्नर ने हाईलेबल आडिट टीम से जांच कराने को दी संस्तुति ……
आयुक्त ने शिब्ली के गबन और वित्तीय अनियमितता के गंभीर प्रकरण को देखते हुए इसे उच्च स्तरीय आडिट टीम से आडिट कराने के लिए अपर आयुक्त वित्त वाराणसी को 29 मार्च को पत्र लिखा है। कमिश्नर आजमगढ के आदेश पर अपर आयुक्त वित्त, राजस्व परिषद वाराणसी ने 5 अप्रैल को कमिश्नर एवं सचिव, राजस्व परिषद लखनऊ को शिब्ली के गंभीर प्रकरण पर मार्गदर्शन मांगा है। उम्मीद है कि शासन को भेजे गए इस मामले में उच्च स्तरीय जांच टीम से अन्य खातों की भी जांच होगी और दोषी प्राचार्य के साथ दोषी मैनेजमेंट के विरुद्ध भी वैधानिक कार्रवाई होना सुनिश्चित है।
