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हड़ताल करने पर बर्खास्त होंगे बिजलीकर्मी, आदेश के बाद प्रदेश के कर्मचारियों में आक्रोश; प्रतियां जलाईं

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लखनऊ। नियमावली में बदलाव करके बिना जांच किए हड़ताल करने वाले कार्मिकों को बर्खास्त करने संबंधी आदेश को लेकर बिजली कार्मिकों में आक्रोश है। शनिवार को तीन घंटे के कार्य बहिष्कार के दौरान प्रदेशभर में आदेश की प्रतियां जलाई गईं। कार्मिकों ने कार्पोरेशन प्रबंधन पर अशांति का वातावरण पैदा करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री से कार्पोरेशन अध्यक्ष को बर्खास्त करने की मांग की।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कार्पोरेशन के आदेश को तानाशाहीपूर्ण, असंवैधानिक आदेश बताता। तीन घंटे के कार्य बहिष्कार के दौरान नियमावली संबंधी आदेश की प्रतियां जलाईं। आरोप लगाया कि कार्पोरेशन के अध्यक्ष पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण को लेकर इतने उतावले हैं कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 311(2) का उल्लंघन कर दिया। बिजली कर्मचारियों की बर्खास्तगी का अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक आदेश जारी कर उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसलों का भी अपमान किया है।

संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि वे अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण गतिविधियों में संलिप्त पावर कार्पोरेशन को अध्यक्ष को बर्खास्त करें। यह भी आरोप लगाया कि कार्पोरेशन अध्यक्ष आशीष गोयल के आदेश पर महाप्रबंधक (आईआर) प्रदीप कुमार और उत्पादन निगम के महाप्रबन्धक (एचआर) एके सेठ संगठनों के पदाधिकारियों को फोन करके धमकी दे रहे हैं। जरूरत पड़ने पर सबूत भी सार्वजनिक किया जाएगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पीकेदीक्षित, सुहैल आबिद, शशिकान्त श्रीवास्तव, चंद्र भूषण उपाध्याय, आरवाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय आदि ने एलान किया कि बिजली कर्मी हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार हैं।

घोटाले के लिए निदेशक वित्त का कार्यकाल बढ़ाने का आरोप

पावर कार्पोरेशन के निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग का कार्यकाल एक बार फिर तीन माह के लिए बढ़ा दिया गया है। ऐसे में संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि कार्पोरेशन प्रबंधन ने बड़े घोटाले को अंजाम देने के लिए नवचयनित निदेशक (वित्त) पुरुषोत्तम अग्रवाल को कार्यभार ग्रहण नहीं करने दिया। अब गलत तरीके से ट्रांजेक्शन एडवाइजर तय करने वाले निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग का कार्यकाल दूसरी बार तीन माह के लिए बढ़ाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण के लिए अवैध तरीके से चुनी गई ट्रांजेक्शन एडवाइजर कंपनी ग्रांट थार्नटन को किस लिए क्लीन चिट दी जा रही है।

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