टीईटी कानून संशोधन के खिलाफ आक्रामक हुए प्रदेश के शिक्षक, 16 सितंबर को पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन
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लखनऊ। सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पैदा हुई स्थिति को लेकर चिंतित प्रदेश भर के शिक्षक धीरे-धीरे आंदोलन की राह पर चल निकले हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की रविवार को लखनऊ स्थित शिक्षक भवन में हुई बैठक में 16 सितंबर को प्रदेश भर में प्रदर्शन की घोषणा की गई है।
संघ के प्रदेश पदाधिकारियों, जिलाध्यक्ष, मंत्री आदि की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि एक सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षकों की नौकरी पर आए संकट से सभी दुखी हैं। उन्होंने कहा कि टीईटी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून के क्रम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए निर्णय से देश भर के 20 लाख शिक्षकों के सामने संकट खड़ा हुआ है।
प्रदेश में भी इससे प्रभावित होने वालों की बड़ी संख्या है।संघ इसके लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून में संशोधन के लिए 16 सितंबर को प्रदेश के सभी बीएसए कार्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही पीएम को संबोधित ज्ञापन डीएम के माध्यम से भेजा जाएगा। इसमें सभी शिक्षक शामिल हो।
संघ के महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल इस मामले में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेगा। इसके बाद भी जरूरत पड़ी तो इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। बैठक में कोषाध्यक्ष शिव शंकर पांडेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राधे रमण त्रिपाठी, प्रांतीय पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।
शिक्षकों के एक अन्य गुट ने टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर 10 सितंबर को प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की घोषणा की है। शिक्षक नेता सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि 10 सितंबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति विभिन्न निर्धारित योग्यताओं को पूरा करते हुए हुई है। शिक्षकों की सेवाकाल के अंतिम वर्षों में टीईटी को लागू कर देने से उनके सामने दिक्कत खड़ी हो गई है। इसलिए टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त करने हेतु अपील की जाएगी।
