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सपा ने कहा मतदान के दिन सिर्फ बुर्के वाली महिलाओं का जांच मंजूर नहीं, यह निर्वाचन आयोग के खिलाफ

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लखनऊ। सपा ने चुनाव आयोग को ज्ञापन देकर मांग की है कि बुर्के वाली महिला मतदाताओं की पहचान आंगनवाड़ी सेविकाओं से कराने और जांच के बाद ही बुर्के वाली महिला मतदाता को मतदान करने संबंधी निर्देश वापस लिए जाएं। निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव में इन निदेर्शों को सख्ती से लागू करने और आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में भी इसे लागू करने को कहा है। ज्ञापन में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त का नया निर्देश भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है। इसमें बताया गया है कि मतदान के दिन मतदान अधिकारी को मतदाता की आईडी यानी मतदाता पहचान पत्र की जांच करने का अधिकार दिया गया है। इसलिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत जा कर नया निर्देश जारी किया है। यह आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है।
इस नए नियम से देश में एक विशेष संप्रदाय के मतदाताओं को निशाना बनाया गया है, जोकि अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। ज्ञापन देने वालों में सपा के प्रदेश सचिव केके श्रीवास्तव, वरिष्ठ नेता डॉ. हरिश्चंद्र सिंह और राधेश्याम शामिल रहे। यह मामला बिहार से जुड़ा हुआ है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कार्यक्रम घोषित करते हुए कहा था कि आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं का उपयोग मतदान केंद्रों पर बुर्का और घूंघट वाली महिलाओं की पहचान करने के लिए किया जाएगा। पहली बार, बिहार के 243 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए एक सामान्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा, जो आयोग की आंख और कान के रूप में कार्य करेगा। सपा ने इसी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

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