Latest News

The News Complete in Website

बिना अप्लाई किए ही मिल जाएगी पेंशन, लेखपाल बनने में अब होगी आसानी; जानिए कैबिनेट के बड़े फैसले

1 min read

लखनऊ। उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने राज्य में वृद्धावस्था पेंशन को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। अब पात्र वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन के लिए अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी। समाज कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि फैमिली आईडी ‘एक परिवार-एक पहचान’ प्रणाली से पात्र लाभार्थियों का स्वतः चिन्हीकरण होगा और उनकी सहमति मिलने पर पेंशन सीधे स्वीकृत की जाएगी। वर्तमान में 67.50 लाख वरिष्ठ नागरिक इस योजना का लाभ ले रहे हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो प्रक्रिया पूरी न कर पाने के कारण पेंशन से बाहर रह जाते हैं। नया फैसला इसी समस्या को हल करने पर केंद्रित है।

नई व्यवस्था में फैमिली आईडी के आधार पर उन नागरिकों की सूची स्वतः तैयार होगी, जिनकी आयु अगले 90 दिनों में 60 वर्ष होने जा रही है। यह सूची एपीआई के माध्यम से समाज कल्याण विभाग के पेंशन पोर्टल पर भेजी जाएगी। विभाग सबसे पहले एसएमएस, व्हाट्सऐप और फोन कॉल जैसे डिजिटल माध्यमों से पात्र नागरिकों से सहमति लेगा। जिनकी सहमति डिजिटल रूप से नहीं मिलेगी, उनसे ग्राम पंचायत सहायक, कॉमन सर्विस सेंटर या विभागीय कर्मचारी भौतिक रूप से संपर्क करेंगे। दोनों स्तरों पर सहमति न मिलने पर ऐसे नाम प्रक्रिया से हटा दिए जाएंगे।

 यूपी कैबिनेट ने रेंट एग्रीमेंट पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 90 फीसदी तक कमी के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। वहीं, टोल संबंधी पट्टों एवं खनन पट्टों को इस राहत से मुक्त रखा है क्योंकि इनमें राजस्व हानि की आशंका अधिक रहती है।

स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि व्यापक जनहित में एक वर्ष तक के मानक किरायानामा विलेखों को प्रोत्साहित करने और 10 वर्ष तक की अवधि वाले किरायनामों की रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस की अधिकतम सीमा तय की गई है। इससे किरायेदारों और भवन स्वामियों पर आर्थिक बोझ कम होगा तथा किरायानामा औपचारिक रूप से रजिस्टर्ड कराने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। औसत वार्षिक किराया अधिकतम 10 लाख रुपये तक की सीमा में आने वाले किरायानामा विलेखों पर यह छूट लागू होगी। टोल संबंधी पट्टों एवं खनन पट्टों को इस राहत से मुक्त रखा गया है, क्योंकि इनमें राजस्व हानि की आशंका अधिक रहती है।

 प्रदेश सरकार ने श्रम कानूनों का सरलीकरण करते हुए छोटे कारोबारियों को राहत दी गई है। अब 20 से कम कर्मकारों वाले प्रतिष्ठानों के लिए पंजीयन अनिवार्य नहीं होगा। अभी तक एक या इससे अधिक कर्मियों वाले प्रतिष्ठानों का पंजीयन भी अनिवार्य था। कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में इससे जुड़े दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दे दी गई।

फैसले की जानकारी देते हुए श्रम मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि संशोधन के तहत यह अधिनियम अब उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जिनमें 20 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इससे छोटे प्रतिष्ठान बिना अतिरिक्त बोझ के अपनी आर्थिक गतिविधि को सुचारू रख सकेंगे, जबकि बड़े प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को अधिनियम के तहत मिलने वाले सभी लाभ मिलेंगे। सरकार का मानना है कि इससे प्रदेश में व्यापारिक गतिविधियां और तेज होंगी। वहीं, इस अधिनियम की सीमा नगरीय क्षेत्रों से बढ़कर पूरे प्रदेश में हो गई है। इससे अधिकतम श्रमिक कानूनी संरक्षण के दायरे में आएंगे और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी।

श्रम मंत्री ने बताया कि संशोधन का दायरा बढ़ने से चिकित्सकीय इकाइयों जैसे क्लीनिक, पॉलीक्लीनिक, प्रसूति गृह, आर्किटेक्ट, कर सलाहकार, तकनीकी सलाहकार, सेवा प्रदाता, सेवा मंच और इसी तरह के अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी कानून के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है। इससे इन प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी सुरक्षित कार्य परिस्थितियों और लाभों का अधिकार मिलेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में गन्ना मूल्य में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। अगेती प्रजातियों के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य प्रजाति के लिए 390 रुपये प्रति क्विंटल और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 355 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य निर्धारित किया गया है। गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि चीनी मिलें राज्य परामर्शित मूल्य के आधार पर गन्ना मूल्य का भुगतान करेंगी। चीनी मिलों के बाह्य क्रय केंद्र से गन्ने का परिवहन मिल गेट तक कराए जाने में होने वाली ढुलाई कटौती की दर 60 पैसे प्रति क्विंटल प्रति किमी निर्धारित की गई है, लेकिन यह अधिकतम 12 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है। गन्ना समितियों और गन्ना विकास परिषदों को देय अंशदान की दर 5.50 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है।

अब चैनमैन लेखपाल के पद पर पदोन्नत हो सकेंगे। इसके लिए लेखपाल सेवा नियमों में बदलाव के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पंचम संशोधन नियमावली 2025 के तहत अब लेखपाल के कुल पदों में से दो प्रतिशत पद योग्य चैनमैन को पदोन्नति देकर भरे जाएंगे। यह पहली बार है जब चैनमैन को लेखपाल पद तक प्रमोशन का अवसर मिलेगा।

 अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की जाती है। प्रदेश में कुल 30837 स्वीकृत पदों में से 21897 पर तैनाती है, जबकि 8940 पद रिक्त हैं। नई व्यवस्था के तहत वे चैनमैन पदोन्नति के लिए पात्र होंगे, जो मौलिक रूप से इसी पद पर नियुक्त हों। साथ ही भर्ती वर्ष के पहले दिन तक छह वर्ष की सेवा पूरी कर चुके हों और इंटरमीडिएट या समकक्ष योग्यता रखते हों। इन पात्र चैनमैन का चयन एक चयन समिति की सिफारिश पर किया जाएगा। सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि अनुभवी चैनमैन को लेखपाल के रूप में पदोन्नत करने से न सिर्फ विभाग की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन भी और तेज होगा।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *