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मुसीबत की बाढ़: बच्चों को नहीं मिल पा रहा दूध, सब्जी समेत जरूरी सामान की भी किल्लत; ऐसे हैं हालात

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लखीमपुर खीरी। लखीमपुर खीरी जिले में पलिया, बिजुआ, निघासन, धौरहरा और फूलबेहड़ इलाकों में बाढ़ से 250 गांवों के लोगों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। घरों में पानी भरा है। बाढ़ पीड़ित छत, सड़कों और अन्य ऊंचे स्थानों पर पनाह लिए हैं। प्रशासन की ओर से खाने के पैकेट तो पहुंचाए जा रहे हैं, लेकिन बच्चों को दूध और अन्य आवश्यक वस्तुएं नहीं मिल पा रही हैं। सब्जियां और अन्य जरूरी सामान के लिए लोग परेशान हैं। सूखा स्थान न होने से चारपाई पर ही ईंट रखकर खाना बनाने को विवश हैं। शारदा नदी की बाढ़ का पानी निघासन क्षेत्र के करीब 100 गांवों में भर गया है। पलिया-निघासन स्टेट हाईवे के दक्षिण तरफ बल्लीपुर से बंधा पर स्थित बंगाली कॉलोनी तक लगभग 42 किलोमीटर तक के सारे गांव बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ पीड़ितों की पूरी फसल नष्ट हो गई है। आवागमन में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

पतिया ग्राम पंचायत के गांव भानपुरवा में तहसीलदार भीमचंद ने 200 लंच पैकेट, लेखपाल श्याम किशोर ने भदुरैहिया गदियाना में 150 और प्रधान इकराम अली ने पतिया गांव पश्चिम मोहल्ले में 50 लंच पैकेट वितरित किए। बल्लीपुर ग्राम पंचायत के गांव गोतेबाजपुरवा की स्थिति काफी दयनीय है। 25 से अधिक घरों के लोग आज भी छतों और चारपाई पर खाना बनाने को विवश है।

गांव से आने-जाने का मुख्य मार्ग बाधित है। ग्रामीणों को दैनिक उपयोग की वस्तुएं नही मिल पा रही हैं। प्रशासन ने अब तक गोतेबाजपुरवा में कोई भी राहत सामग्री नही पहुंचाई है। गोतेबाज पुरवा के अफसर अली, पेशकार, जमील और जाबिर आदि ने बताया कि गांव में तीन दिन से पानी भरा है, लेकिन प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की है। एसडीएम राजीव निगम ने बताया कि भोजन के पैकेट की व्यवस्था की जाएगी।

तिकुनिया इलाके में घरों में मोहाना नदी की बाढ़ का पानी भर जाने से कई गांवों के ग्रामीण सड़कों पर तंबू तानकर रह रहे हैं। गुरुद्वारे के निकट सड़क पर प्लास्टिक तंबू तानकर रह रहे बेचेलाल, पन्ना, शत्रोहन, नंदी, सुबरन लाल, जनकपुर की गुड्डी, बसंती, रामकली, राम सिंह, झब्बू, सुनीता, बेचन शर्मा, संदीप सुवाली, गौतम घनश्याम, गोविंदा, लवकुश, पन्नालाल, सतीश और विमलेश ने बताया कि इस बार इतनी तेजी से पानी घरों में घुसा कि वे लोग जान बचाकर किसी तरह बच्चों को लेकर भागे। राशन और खाने पीने की सामग्री घरों में छूट गई। अब तहसील प्रशासन के भरोसे हैं। लेखपाल ने गुरुद्वारे में खाना खाने की बात कही है। एसडीएम राजेश निगम ने बताया कि घरों से पानी निकल जाने के बाद सर्वे कराकर बाढ़ पीड़ितों की मदद की जाएगी।

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