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डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट रख 48 लाख हड़पे, एसटीएफ ने पांच को दबोचा; खुद को अधिकारी बताकर देते थे झांसा

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ में एसटीएफ ने विकासनगर निवासी डॉक्टर अशोक सोलंकी को डिजिटल अरेस्ट रखकर 48 लाख रुपये हड़पने वाले गिरोह के पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है। गिरोह में शामिल ठगों ने कंबोडिया जाकर ठगी का प्रशिक्षण लिया था। भारत लौटने के बाद फर्जीवाड़ा कर रहे थे। एसटीएफ ने पांचों को हरियाणा के गुरुग्राम से पकड़ा है। एसटीएफ के एडिशनल एसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक 22 अगस्त को डॉ. अशोक सोलंकी ने साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पीड़ित के मुताबिक 20 अगस्त को जब वह क्लीनिक से लौट रहे थे तो अंजान नंबर से फोन आया था। फोनकर्ता ने कहा कि वह फेडेक्स सर्विस, अंधेरी ईस्ट, मुंबई से बोल रहा है। आपके एक कुरिअर ईरान के लिए अरमान अली के नाम पर भेजा गया है।

इसमें चार एक्सपायर्ड पासपोर्ट, लैपटाप, पेनड्राइव, चार क्रेडिट कार्ड, 420 ग्राम प्रतिबंधित मादक द्रव्य और तीन किलो ट्वॉयज आदि सामान भेजा गया है। आपके आधार कार्ड से हवाला के जरिये लेनदेन हुए हैं। मामले में कंपनी ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। डॉक्टर को झांसे में लेकर दो दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। कभी मुंबई क्राइम ब्रांच, ईडी, सीबीआई तो कभी नारकोटिक्स विभाग का अफसर बनकर बात की और झांसे में लेकर 48 लाख रुपये ऐंठ लिए।

एसटीएफ ने छानबीन शुरू की तो पता चला कि पीड़ित के 48 लाख रुपये दो बैंक खातों में जमा कराए गए थे। इसके बाद रकम को अलग-अलग 178 खातों में ट्रांसफर किया गया। पड़ताल के दौरान एसटीएफ गुरुग्राम के होटल दा सान पहुंची और पांचों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें राजस्थान में अलवर जिला के बानसूर थाने के खोरी निवासी पंकज सुरेला, जालौन जनपद के थाना ऐट के छोटा मुहल्ला ऐट निवासी सागर सिंह, झांसी के सीपरी बाजार थाना के नंदनपुरा निवासी सनी वर्मा, झांसी के थाना प्रेमनगर की कमल सिंह काॅलोनी निवासी अंशुल माहौर और मथुरा के रैपुराजाट निवासी अभय सिंह हैं। आरोपियों के पास से फोन, डेबिट कार्ड व अन्य दस्तावेज मिले हैं। पूछताछ में पंकज ने बताया कि मार्च 2024 में वह कंबोडिया गया था। वहां सुरेश सेन ने तीन लाख रुपये लेकर उसे भेजा था। पंकज यादव के साथ बस्तीराम भी गया था। एयरपोर्ट से दोनों को एक पाकिस्तानी नागरिक 500 किमी दूर कंपनी के ऑफिस लेकर गया। कंपनी का संचालन चीन के नागरिक कर रहे थे। कंपनी में भारत, पाकिस्तान और नेपाल के लोग काम करते मिले। सभी को ठगी का प्रशिक्षण दिया गया और डिजिटल अरेस्ट करने के तरीके बताए गए।

आरोपियों ने बताया कि भारत में ठगों के खातों के संचालन के लिए एजेंट काम करते हैं। खाते में आई रकम का 30 प्रतिशत कमीशन एजेंट को दिया जाता है। शेष रकम कंपनी के पास क्रिप्टो के माध्यम से भेजी जाती है। सुरेश सेन ने कॉलिंग का काम करने के लिए भारत से 100 लोगों को कंबोडिया भेजा हुआ है। पंकज व बस्तीराम प्रशिक्षण लेकर लौट आए थे। तब से बैंक खातों को चलाने का काम कर रहे हैं। इसी बीच दोनों की मुलाकात राज कुमार सिंह, सागर सिंह, संदीप और सनी वर्मा समेत अन्य से हुई। इसके बाद गिरोह ने 500 बैंकों खातों में ठगी की रकम मंगानी शुरू कर दी। आरोपियों ने डॉक्टर से जिस खाते में पैसे मंगाए थे, उसमें 10 दिन के भीतर आठ करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया था। दीपावली के दिन भी ढ़ाई करोड़ की ठगी की थी।

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