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शिक्षामित्रों की मूल विद्यालय वापसी, महिलाओं को ससुराल जाने का मौका; तबादला आदेश जारी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों को नए साल का तोहफा देते हुए शासन ने मूल विद्यालय (पहले तैनाती स्थल) वापसी का शासनादेश जारी कर दिया है। इसमें भी महिला शिक्षामित्रों को दोहरा लाभ मिलेगा। वह अपनी ससुराल के जिले में भी तैनाती पा सकेंगी। इतना ही नहीं सभी शिक्षामित्रों को अपने वर्तमान कार्यरत विद्यालय में तैनात रहने का भी विकल्प दिया जाएगा।

प्रदेश के 1.42 लाख शिक्षामित्र लंबे समय से मूल विद्यालय वापसी व मानदेय वृद्धि की मांग और इसके लिए आंदोलन कर रहे हैं। पिछले दिनों हुए आंदोलन के बाद शासन ने इस पर सकारात्मक कार्यवाही शुरू की। वहीं अमर उजाला ने दो जनवरी के अंक में ”शिक्षामित्रों के तबादले व मानदेय बढ़ाने का लंबा हो रहा इंतजार” शीर्षक से खबर भी प्रकाशित की थी। इसका संज्ञान लेते हुए शासन ने शुक्रवार को शिक्षामित्रों के स्थानांतरण/ समायोजन का आदेश जारी कर दिया।

बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एमकेएस सुंदरम के अनुसार पुरुष शिक्षामित्र व अविवाहित शिक्षामित्रों को अपने वर्तमान विद्यालय में रहने, मूल विद्यालय में जाने, मूल विद्यालय में पद खाली न होने पर उस ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, वार्ड में चल रहे विद्यालय में खाली शिक्षामित्र पद पर विकल्प लेकर तैनाती दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि महिला शिक्षामित्रों को वर्तमान में कार्यरत विद्यालय में तैनात रहने, मूल विद्यालय जाने, उसी या दूसरे जिले में पति के घर (पति के निवास प्रमाण पत्र के आधार पर) की ग्राम सभा, पंचायत, वार्ड में परिषदीय विद्यालय में खाली शिक्षामित्र के पद पर तैनाती का विकल्प दिया जाएगा। जो शिक्षामित्र अपने वर्तमान में कार्यरत विद्यालय में ही काम करने का विकल्प देते हैं। ऐसे आवेदन पत्रों पर किसी कार्यवाही की जरूरत नहीं होगी।

वहीं अन्य तबादला व समायोजन के आवेदन पत्रों के आधार पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति निर्धारित भारांक व खाली पदों के सापेक्ष एनआईसी द्वारा विकसित साफ्टवेयर के माध्यम से कार्यवाही करेगी। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे और उसके अनुसार ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।

30 से 40 हजार को लाभ, 10 हजार है मानदेय

प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में वर्तमान में 1.42 लाख शिक्षामित्र तैनात हैं। जुलाई 2018 में इनको शासन की ओर से मूल विद्यालय वापसी का अवसर दिया गया था। उस समय भी काफी संख्या में शिक्षामित्रों ने इसका लाभ लिया था।

हालांकि 20 से 25 हजार शिक्षामित्र छूट गए थे। जबकि उस समय से अब तक काफी महिला शिक्षामित्रों की शादी हो चुकी है। ऐसे में इस बार लगभग 30 से 40 हजार शिक्षामित्रों को इसका लाभ मिलेगा। वर्तमान में इन्हें 10 हजार रुपये मानदेय मिलता है।

अधिकतर की पहली तैनाती उनके जिले में थी

प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में सितंबर 2001 से 2010 के बीच में लगभग 1.72 लाख शिक्षामित्रों की तैनाती की गई थी। इसमें अधिकतर शिक्षामित्रों की पहले तैनाती उनके जिले में ही की गई थी। ऐसे में मूल विद्यालय वापसी का विकल्प मिलने का मतलब शिक्षामित्र अपने जिले में ही अब नौकरी कर सकेंगे। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि काफी कम मानदेय होने के कारण शिक्षामित्रों को दूर के विद्यालयों में नौकरी करने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में शासन का यह निर्णय उनके लिए काफी हितकारी होगा। सरकार से मांग है कि जल्द ही मानदेय वृद्धि का भी आदेश जारी करे।

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