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लोक कथा पर आधारित नाटक का शानदार मंचन

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आजमगढ़। ख्यातिलब्ध नाट्य दल नाट्य दल सूत्रधार द्वारा आज चक्रपानपुर आज़मगढ़ स्थित श्री राहुल सांकृत्यायन बालिका इंटर कॉलेज के परिसर में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली और सूत्रधार संस्थान आज़मगढ़ के संयुक्त तत्त्वाधान में राजस्थानी लोक कथा पर आधारित नाटक नजर लगी राम का शानदार मंचन किया विजय दान देथा की कहानी आशीष पर आधारित ये नाटक दर्शकों को सोचने की एक दिशा दी। नाटक की कथावस्तु के अनुसार एक राज्य में एक राजा है जो दिन-रात अपने प्रजा के हित में लगा रहता है उसे लगता है कि विधाता ने संसार में बहुत कुछ फिजुल का खर्च कर दिया है मसलन एक आदमी के एक आंख से भी तो काम चल सकता है उसे दो आंखें क्यों देती एक नाक में दो छेद की हुई एक छेद से भी काम चल सकता है एक चेहरे पर दो कान क्यों यह कान से भी काम चल सकता है वह इन विसंगतियों को जिसके लिए वह विधाता को दोषी मांगता है उसे सुधारने के लिए तमाम तरह के नियम कानून बनता है एक दिन उसके दरबार में सियारो की हुआँ हुआँ की आवाज सुनाई देती है वह अपने मंत्री से पूछता है की आवाज किसकी है मंत्री बताता है कि ये सियार है महाराज और यह बहुत स्वामी भक्त होते हैं राजा तत्काल आदेश देता है कि सियारो की तकलीफ का पता लगाइए और समस्या का समाधान कीजिए मंत्री बताता है कि ठंड बहुत पड़ रही है सियार ठंड के मारे हुआ कर रहे हैं राजा तुरंत खजांची से राजकोष करने का कहता है और सारे सियारो के कंबल रजाई गद्दे देने का आदेश देता है फिर कुछ दिन बाद उसे करो कि हुआँ हुआँ की आवाज सुनाई देती है राजा मंत्री से पूछता है अब इन्हें क्या दिक्कत है मंत्री बताते हैं की रजाई गद्दे कंबल से ठंड दूर नहीं हो रहा है यह सारे सियार खुले आसमान के नीचे पड़े रहते हैं इस नाते इन्हें बहुत ठंड लगती है अगर इनके लिए हम एक घर बनवा दें तो इन्हें ठंड से रात मिलेगी राजा तुरंत यारों के लिए घर बनवाने की आदेश देता है फिर कुछ दिन बाद राजा अपने दरबार में सियारो की हुआँ हुआँ की आवाज सुनता है वह मंत्री से पूछता है अब इन्हें क्या दिक्कत है मंत्री बताता है की सुने घर में अकेले सियार बोर हो रहे हैं अगर उनकी शादी करवा दी जाए तो राजा मंत्री से पूछता है उसमें क्या समस्या है शादी करवाइए मंत्री बताता है कि राज्य में को की तुलना में सियारी ने बहुत कम है इस नाते सभी सेरो की शादी नहीं हो सकती राजा आदेश देता है कि पड़ोसी राज्य पर हमला करके वहां से लड़कियां जीती जाए सेरो से ब्याही है मंत्री समझता है कि इसके लिए युद्ध करने की आवश्यकता नहीं है पड़ोसी राज्य अपनी लड़कियां बेच रहा है क्यों ना वहीं से आयात कर लिया जाए राजा खजांची को आदेश देता की राजकोष सिद्धांत जारी किया जाए और लड़कियों की आयत की जाए फिर एक दिन अचानक राजा सियारो की हुआँ हुआँ की आवाज सुनता है अब राजा क्रोध के मारे मंत्री पर नाराज होते हैं और कहते हैं कि अब इनको क्या दिक्कत है सियारो के शादी हो गई है नौ महीने हो चुके हैं और इनकी बीबीया गर्भवती हैं राजा आदेश देता है कि गर्भवती सियारियों के लिए दवा दारू का इंतजाम किया जाए फिर ऐसे ही एक दिन दरबार में राजा पुनः सियारो कि हुआँ हुआँ की आवाज सुनता है राजा मंत्री से पूछता है अब मैं उनके लिए क्या करूं यह तो मेरे पीछे ही पड़ गए हैं मंत्री राजा को बताता है कि यह स्वामी भक्त सियार आपसे फरियाद नहीं कर रहे हैं बल्कि आपके आशीर्वाद दे रहे हैं आप जैसा कोमल हृदय,प्रजा हितैषी राजा जिसे मिले उसके प्रति आभार तो व्यक्त करना ही चाहिए राजा प्रसन्न होता है और इसी के साथ यह नाटक समाप्त होता है अपने कथानक में व्यंग्य समेटे व्यवस्था की भ्रष्टाचार को उजागर करता ये नाटक दर्शकों को आनंद से भाव विभोर कर गया अभिषेक पंडित के सधे निर्देशन में यह नाटक दर्शको के दिलों दिमाग पर अमित छाप छोड़ने में सफल रहा राजा की भूमिका में (सूरज सहगल) मंत्री की भूमिका में (सत्यम कुमार) सेनापति की भूमिका में (बृजेश मौर्य) खजांची की भूमिका में (गोपाल) नागर जी की भूमिकाआर्यन) प्रमुख जी भूमिका (रौशन) राजपरोहित की भूमिका में (शिवम) मसखरा की भूमिका में (अनिल) नट की भूमिका में (हर्ष) नटी की भूमिका में (सुमन) आदि ने बहुत प्रभावपूर्ण अभिनय किया कलाकारो की टोली में विवेक पांडे ओजस्विनी पांडे राजेश्वरी पांडे सुधीर अमित ममता पंडित आदि साथ दिया इस नाटक का वस्त्र विन्यास ममता पंडित ने किया सेठ व प्रॉपर्टी सुग्रीव विश्वकर्मा का रहा प्रकाश परिकल्प रंजीत कुमार, और गोपाल मिश्रा, सूरज यादव ने किया मंच व्यवस्थापक आशुतोष पांडे का सहयोग रहा।

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