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नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय

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– बालेन्दु शर्मा दाधीच

उमेश उपाध्याय जी के आकस्मिक निधन के समाचार से स्तब्ध हूँ। अकल्पनीय और अविश्वसनीय घटित हुआ है। उन्हें इस तरह, इतनी जल्दी श्रद्धांजलि देनी होगी, यह सोचकर ही दिल बैठ जाता है। उमेश उपाध्याय जी से मेरा परिचय बहुत पुराना था- पहली बार उनके ज़ी टीवी के कार्यकाल के दिनों से, जब वे वहाँ एक साप्ताहिक शो का संचालन करते थे। होम टीवी में लगभग ढाई साल तक मेरे बॉस रहे। हमने दर्जनों कार्यक्रम उनके निर्देशन में बनाए।उनके साथ मेरे संबंध कामकाजी नहीं बल्कि निजी और पारिवारिक थे- बड़े भाई के समान। टेलीविजन की दुनिया में वे मेरे पहले बॉस और मेन्टर थे जिन्होंने मुझे सदा प्रोत्साहित किया, स्नेह और मार्गदर्शन दिया। मेरे तकनीकी दुनिया में चले जाने के बाद भी उनसे लगातार जुड़ाव बना रहा और कई मौकों पर हम अपने-अपने संस्थानों के प्रतिनिधियों के रूप में भी मिले (चित्र इंडियन मोबाइल कांग्रेस का)। वे कहते थे- “बालेन्दु तुमने अच्छा किया जो इस क्षेत्र में चले गए। भविष्य इसी का है।” मैं कहता कि मैंने जो कुछ किया उसके पीछे आपकी प्रेरणा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे वे मुस्कुराकर टाल जाते।टेलीविजन के दिनों में उमेश जी से जो कुछ सीखा उसे शब्दों में अभिव्यक्त करना मुश्किल है। मैंने हमेशा युवा पत्रकारों और दूसरे पेशेवरों को कड़ी मेहनत के मामले में उनकी मिसाल दी। इतने बड़े पदों पर रहने के बावज़ूद कभी उनमें अहं का भाव नहीं आया। वे सरल, सहज, सहृदय थे और हर विचार के लोगों के साथ समान गर्मजोशी तथा लगाव के साथ मिलते थे। उनका अवसान मेरे तथा हमारे परिवार के लिए उतना ही दुःखद और शोकपूर्ण है जितना किसी परिजन का चले जाना होता है। ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे और परिवार को शक्ति दे।

सादर श्रद्धांजलि। ओम् शांति 🙏🙏🙏

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