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प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों पर लगा जुर्माना, नौ मई तक नहीं जमा किया जो फंस सकती हैं एमबीबीएस की सीटें

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लखनऊ। प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वार्षिक घोषणा पत्र जमा नहीं करने की वजह से लगाया गया है। चेतावनी दी गई है कि वार्षिक घोषणा पत्र के साथ 3.54 लाख रुपये फीस और 50 हजार रुपये जुर्माना नौ मई तक जमा कर दें। अन्यथा वर्ष 2025-26 की एमबीबीएस की सीटों को मान्यता नहीं दी जाएगी। इससे चिकित्सा शिक्षा विभाग में हलचल मची हुई है।

प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों को हर साल वार्षिक घोषणा पत्र देना होता है। इसमें एमबीबीएस की सीटों के आधार पर कॉलेज में आधारभूत सुविधाएं, संकाय सदस्यों की संख्या, लैब आदि का ब्यौरा देना होता है। वार्षिक घोषणा पत्र के आधार पर एनएमसी की टीम मौका मुआयना करती है। फिर संबंधित कॉलेज की एमबीबीएस की सीटों को मान्यता देती है। एनएमसी की ओर से जारी नोटिस में बताया गया है कि देश के 15 मेडिकल कॉलेजों ने अभी तक वार्षिक घोषणा पत्र जमा नहीं किया है। इसमें सर्वाधिक पांच उत्तर प्रदेश के हैं। एनएमसी ने कॉलेजों के प्रधानाचार्यों व विभागीय अधिकारियों को भी पत्र भेजा है। इसमें चेतावनी दी है कि वार्षिक घोषणा पत्र जमा करने के लिए पोर्टल खोला जा रहा है। नौ मई तक हर कॉलेज को घोषणा पत्र के साथ ही फीस के रूप में 3.54 लाख और 50 हजार रुपया जुर्माना जमा करना है। इसके बाद सुनवाई नहीं होगी। संबंधित कॉलेज की एमबीबीएस की सीटें को अगले सत्र (वर्ष 2025-26) के लिए मान्यता नहीं दी जाएगी। इस नोटिस के पहुंचते ही चिकित्सा शिक्षा विभाग में हलचल मची हुई है। संबंधित कॉलेज के प्रधानाचार्यों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

जुर्माना लगने वाले कॉलेज का नाम और एमबीबीएस की सीटें

इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (बीएचयू) वाराणसी – 100 सीटें

महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज झांसी – 150 सीटें

मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज- 200 सीटें

स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज कुशीनगर – 100 सीटें

सरस्वती इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल कॉलेज हापुर- 250 सीटें

पिछले वर्ष से नहीं लिया सबक

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पिछले वर्ष केजीएमयू, बीएचयू, एमएलबीएमसी झांसी सहित 18 सरकारी एवं 19 निजी मेडिकल कॉलेजों पर जुर्माना लगाया था। सभी सरकारी कॉलेजों पर करीब 87 लाख और निजी कॉलेजों पर 1.36 करोड़ रुपया जुर्माना लगा था। पिछले वर्ष जुर्माना लगने की वजह अगल थी। एनएमसी ने कॉलेजों के निरीक्षण के बाद मिली कमियों को दूर करने का निर्देश दिया था, लेकिन कमियां दूर नहीं की गई। ऐसे में एनएमसी में कॉलेजों पर जुर्माना लगा दिया था। इसके बाद भी इस वर्ष सावधानी नहीं बरती गई। संसाधनों की व्यवस्था करके समय पर वार्षिक घोषणा पत्र जमा नहीं किया गया। अब एनएमसी ने अंतिम मौका दिया है।

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