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प्रदेश में मानसून ने लिया ब्रेक, अब 28 जून से फिर से होगी बारिश; इन सात जिलों में भारी बरसात का अलर्ट

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फिलहाल दो दिन मानसूनी बारिश पूर्वांचल की बजाए पश्चिमी हिस्से में ज्यादा मेहरबान रहेगी। बृहस्पतिवार को पश्चिम के सात जिलों में भारी बारिश की संभावना है। वहीं पश्चिम व बुदेलखंड के 43 जिलों में गरज चमक और वज्रपात की आशंका जताई गई है। बुधवार को पूर्वी हिस्से में धूप-छांव के बीच सोनभद्र, प्रतापगढ़, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर आदि हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिली। कई इलाकों में छिटपुट बारिश होने के बाद उमस भरी गर्मी ने लोगों को परेशान किया।

मौसम विभाग के मुताबिक 28 से 30 जून के बीच पूर्वी और पश्चिमी दोनों संभागों में अच्छी बारिश के संकेत हैं। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि 26 व 27 जून को पूर्वी यूपी में छिटपुट बूंदाबांदी हो सकती है। वहीं पश्चिमी यूपी में हल्की से मध्यम बारिश और गरज चमक के संकेत हैं। 28 से 30 जून के बीच पूर्वी और पश्चिमी दोनों संभागों में अच्छी बारिश के संकेत हैं।

यहां है भारी बारिश की संभावना

सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, ललितपुर व आसपास के इलाकों में।

गरज चमक व वज्रपात होने की संभावना

बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, संभल, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर व आसपास के इलाकों में।

अब तक चार प्रतिशत ज्यादा हुई है बारिश

24 जून तक, देश में मानसून की बारिश दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) से 4.0 प्रतिशत अधिक है। यह बारिश के मौसम की सकारात्मक शुरुआत का संकेत है। आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी एक शोध में यह बात कही है। शोध के अनुसार, वर्षा में इस मामूली वृद्धि से उन राज्यों में खरीफ फसल उत्पादन को लाभ मिलने की उम्मीद है, जहां पर्याप्त बारिश हुई है।

रिसर्च में सीईआईसी और आईएमडी के आंकड़ों का हवाला देकर बताया गया है कि राजस्थान (एलपीए से 135 प्रतिशत अधिक) और गुजरात (एलपीए से 134 प्रतिशत अधिक) में प्रमुख खरीफ राज्यों में सबसे अधिक अतिरिक्त बारिश हुई है। अन्य प्रमुख खरीफ फसल उत्पादक राज्य जैसे मध्य प्रदेश (एलपीए से 28 प्रतिशत अधिक), उत्तर प्रदेश (19 प्रतिशत), तमिलनाडु (15 प्रतिशत), कर्नाटक (10 प्रतिशत), हरियाणा (11 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (7 प्रतिशत) में भी मौसमी औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। पंजाब में एलपीए के बराबर वर्षा हुई है।

बारिश बेहतर तो फसल अच्छी होने की उम्मीद

रिपोर्ट के अनुसार इस व्यापक और समय पर हुई बारिश से बुवाई और फसल वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिससे समग्र कृषि उत्पादन में सुधार होगा। हालांकि, सभी क्षेत्रों में बारिश अच्छी हुई, ऐसा नहीं है। तेलंगाना (एलपीए से 43 फीसदी कम), छत्तीसगढ़ (एलपीए से 36 फीसदी कम), आंध्र प्रदेश (एलपीए से 34 फीसदी कम) और बिहार (एलपीए से 20 फीसदी कम) जैसे राज्य बारिश की कमी का सामना कर रहे हैं। यदि कमी जारी रहती है, तो इससे इन क्षेत्रों में खरीफ की बुवाई और फसल की पैदावार प्रभावित हो सकती है।

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