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पंचायती राज विभाग का एक और आदेश रद्द, बढ़ेगी प्रधानों की मुश्किल

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इसके पूर्व यादव और मुसलमानों को लेकर दिया गया था विवादित आदेश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच पंचायती राज विभाग का एक और विवादित आदेश चर्चा में रहा, जिसे अब रद्द कर दिया गया है। नए आदेश के अनुसार, अब कोई भी व्यक्ति ग्राम प्रधानों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकेगा। शिकायत जिले के जिलाधिकारी (डीएम) या सरकार के समक्ष की जा सकती है। पहले जारी आदेश में कहा गया था कि केवल ग्राम पंचायत का निवासी ही प्रधान के खिलाफ शिकायत कर सकता है, लेकिन इसे अब निरस्त कर दिया गया है।

पंचायती राज विभाग के निलंबित संयुक्त निदेशक एसएन सिंह ने 31 जुलाई को आदेश जारी किया था कि ग्राम प्रधान के खिलाफ केवल स्थानीय निवासी ही हलफनामा देकर शिकायत कर सकता है। यह आदेश उत्तर प्रदेश पंचायत राज (प्रधानों, उप प्रधानों व सदस्यों को हटाए जाना) जांच नियमावली 1997 और 18 अप्रैल 2019 के शासनादेश के विपरीत था। विवाद बढ़ने पर पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक संजय कुमार बरनवाल ने इस आदेश को रद्द करने का निर्देश जारी किया।

एसएन सिंह इससे पहले भी विवादित आदेश के कारण चर्चा में थे। उन्होंने गांवों में पट्टों की जमीन पर यादव और मुसलमानों द्वारा कथित अवैध कब्जे की जांच और कार्रवाई का निर्देश दिया था। इस आदेश की कॉपी वायरल होने के बाद हंगामा मच गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को गंभीरता से लिया और एसएन सिंह को निलंबित कर दिया गया।

इस मामले में लखनऊ की प्रवीण कुमार मौर्य ने शिकायत दर्ज की थी, जिसके बाद पंचायती राज विभाग ने विवादित आदेश को रद्द करने का फैसला लिया। अब ग्राम प्रधानों के खिलाफ शिकायत का अधिकार सभी को होगा, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।

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