टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में सड़क पर उतरे शिक्षक, मुरादाबाद में नारेबाजी, सीएम को भेजा गया ज्ञापन
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मुरादाबाद। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के अनिवार्य किए जाने के विरोध में शिक्षक सड़क पर उतरे। नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ मुरादाबाद के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम से जिलाधिकारी और बीएसए को ज्ञापन दिया।
जिला अध्यक्ष डॉ. ऋतु त्यागी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 उत्तर प्रदेश में 27 जुलाई 2011 से लागू है। 27 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की अर्हता में टीईटी सम्मिलित नहीं था जबकि उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में 27 जुलाई 2011 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।
इस निर्णय से 30 से 35 वर्ष पूर्व नियुक्त शिक्षकों को भी टीईटी पास करना अनिवार्य है। हमारी मांग है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए शिक्षकों के हित में कार्यवाही की जाए। इससे शिक्षकों को नौकरी से निकाले जाने का भय समाप्त हो जाए। इस मौके पर जिला महामंत्री पूनम सक्सेना, अलका रानी वर्मा, पुष्पा यादव, ज्योति गोस्वामी, प्रेमलता गौड़ आदि मौजूद रहीं।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ में भी नाराजगी
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश व अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आह्वान पर प्रदेश के सभी जिलों में टीईटी समस्या के समाधान के लिए शिक्षक 15 सितंबर को पीएम के नाम डीएम को ज्ञापन सौंपेंगे। प्रदेश महामंत्री जोगेंद्र पाल सिंह ने कहा कि कक्षा आठ तक पढ़ने वाले सभी शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्य कर दी गई है।
इससे प्रदेश के हजारों शिक्षकों की सेवा सुरक्षा व आजीविका को संकट में डाल सकती है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने भी विचार रखे। महामंत्री प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि इस निर्णय से हजारों शिक्षक प्रभावित होंगे। यह स्थिति शिक्षकों के मनोबल को तोड़ेगी व शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
