गांव में शिकायत सुनने ट्रैक्टर पर बैठकर पहुंचीं सीडीओ, ढाई किमी पैदल चलीं; यहां पहली बार कोई अधिकारी आया
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सोनभद्र। सोनभद्र के घोरावल ब्लॉक के दुगौलिया ग्राम पंचायत के तिलहर टोले के लिए सोमवार का दिन खास रहा। सड़क और संपर्क से दूर इस टोले में शिकायत सुनने के लिए पहली बार जिले का कोई बड़ा अधिकारी पहुंचा था। सीडीओ जागृति अवस्थी यहां तक पहुंचने के लिए करीब ढाई किमी पैदल चलीं, फिर डेढ़ किमी की दूरी ट्रैक्टर पर बैठकर तय किया।
गांव के एक-एक घर जाकर उनकी पीड़ा सुनीं। कंपोजिट विद्यालय में बच्चों के साथ बैठकर बात की। गाजियाबाद के बाद प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले सोनभद्र के इस गांव में आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव को दूर कराने का भरोसा दिया। इसके लिए विभागों को समन्वित योजना बनाने के निर्देश दिए।
सीडीओ जागृति अवस्थी को डब्ल्यूएचओ की टीम के जरिए घोरावल ब्लाॅक के तिलहर गांव में खसरे का प्रकोप होने और टीकाकरण न कराने की सूचना मिली थी। इस पर टीम के साथ सीडीओ खुद तिलहर गांव के लिए निकल पड़ी। शाहगंज से आगे बढ़ीं तो पता चला कि गांव तक जाने के लिए कोई सड़क ही नहीं है।
अफसरों को दी हिदायत
टीम के साथ पहाड़ी पगडंडियों से होते हुए लगभग ढाई किमी की दूरी उन्होंने पैदल तय की। इसके बाद आगे का डेढ़ किमी सफर ट्रैक्टर-ट्राली के जरिए पूरा किया। गांव में पहुंचने पर न बिजली की सुविधा मिली और न ही पेयजल और स्वास्थ्य से जुडे़ इंतजाम थे।
कंपोजिट विद्यालय में बच्चों की अच्छी मौजूदगी थी, लेकिन अन्य सुविधाओं-संसाधनों के अभाव पर सीडीओ भी हतप्रभ रह गईं। इस दौरान जो भी बच्चे खसरे की चपेट में थे उन्हें जरूरी दवा-उपचार उपलब्ध कराने के साथ ही शेष बच्चों का टीकाकरण कराया गया।
ग्रामीणों को साफ-सफाई और रोगों से बचाव के लिए जरूरी हिदायतें दी गईं। जब तक गांव के लिए सड़क का निर्माण और स्वास्थ्य को लेकर स्थाई व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक डॉक्टरों की एक टीम तिलहर गांव में रोस्टर वार चक्रमण-ग्रामीणों के चेकअप का कार्य जारी रखेगी।
सीएमओ को इस व्यवस्था को तत्काल प्रभावी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। सड़क का निर्माण शीघ्र शुरू हो सके इसके लिए पीडब्ल्यूडी महकमे को वन विभाग से समन्वय बनाते हुए जल्द एनओसी हासिल करने के लिए कहा गया है।
वन विभाग की अड़ंगेबाजी पर हुईं नाराज
सीडीओ ने सड़क निर्माण न होने को लेकर पीडब्ल्यूडी से जानकारी मांगी तो बताया गया कि तीन साल पहले ही सड़क निर्माण की स्वीकृति मिल गई है लेकिन अब तक वन विभाग की एनओसी नहीं मिल पाई है। विद्युतीकरण का कार्य न होने के पीछे भी वन विभाग की अड़ंगेबाजी सामने आई।
