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सीओ जिया उल हक हत्याकांड का 11 वर्ष बाद आया फैसला, 10 आरोपी दोषी करार

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प्रतापगढ़। कुंडा के सीओ रहे जिया उल हक हत्याकांड का 11 वर्ष बाद शुक्रवार को फैसला आया। सीबीआई की विशेष अदालत ने दस आरोपियों को दोषी माना है। बलीपुर के प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद उसके भाई की गोली लगने से मौत से आक्रोशित लोगों ने सीओ की लाठी डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या का आरोप कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया व उनके करीबी रहे गुलशन यादव पर लगा था। हालांकि जांच के दौरान ही सीबीआई ने दोनों को क्लीन चिट दे दिया था। देवरिया जनपद के नूनखार टोला जुआफर के रहने वाले सीओ जिया उल हक को 2012 में कुंडा सर्किल की जिम्मेदारी मिली थी। हथिगवां के बलीपुर गांव में दो मार्च 2013 की शाम प्रधान नन्हे सिंह यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह हत्या उस समय हुई थी। जब वह विवादित जमीन के पास चाय की दुकान पर बैठा था।
सीएचसी कुंडा में नन्हें को मृत घोषित करने पर परिजन शव लेकर घर चले गए। गांव में इस कदर बवाल था कि पुलिस प्रधान के घर जाने का साहस नहीं जुटा पा रही थी। आक्रोशित ग्रामीण आरोपियों के घर धावा बोलने की तैयारी में थे। तभी कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा, एसएसआई विनय कुमार सिंह व गनर इमरान के साथ सीओ जिया उल हक प्रधान के घर पीछे के रास्ते से पहुंचे। तभी सुरेश यादव की गोली लग गई।
यह देख भीड़ का गुस्सा और भड़क उठा। सीबीआई के अनुसार फायरिंग कर रहे ग्रामीणों ने सीओ को घेर लिया और लाठी डंडे से पीटने लगे। जबकि कोतवाल व गनर भागकर खेत में छिप गए। जिले से भारी फोर्स पहुंचने के बाद पुलिस सीओ के शव को प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे से कब्जे में ले सकी। सीओ की हत्या के बाद शासन ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, एसओ समेत अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर जांच बैठाई।
तिहरे हत्याकांड में चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मृत सीओ जिया उल की पत्नी परवीन की तहरीर पर पुलिस ने रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, संजय सिंह उर्फ गुड्डू सिंह, गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि बाद में सीबीआई ने राजा भैया समेत सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दिया था।

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