राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा के अपमान के लिए शिब्ली के प्राचार्य दोषी
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० मजिस्ट्रेट की त्रि-सदस्यीय जांच टीम की जांच में फंस गए अफसर अली
० प्राचार्य के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई हेतु डीएम ने दिया प्रबंधक अतहर रसीद खां को आदेश
० ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी को भी प्राचार्य पर कार्रवाई को भेजा गया पत्र
० स्वतंत्रता दिवस-2024 समारोह में झंडे के अपमान का प्रकरण
० गणतंत्र दिवस-2024 समारोह में भी अपमान का आया नया फोटो
०अपमान पर तीन साल की सजा और जुर्माना का है प्राविधान
० शिब्ली में तिरंगा अपमान का इतिहास रहा है।
० शिब्ली के पूर्व प्राचार्य भी तिरंगा अपमान में जा चुके हैं जेल
आजमगढ़/लखनऊ। अल्पसंख्यक संस्था शिब्ली के प्राचार्य अफसर अली आखिरकार त्रि-सदस्यीय जांच कमेटी की जांच में फंस गएं। वे जांच कमेटी द्वारा बीते स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के अपमान करने का दोषी करार दिए गए, वहीं इस अवसर पर शिब्ली में फहराया गया तिरंगा भी झुका हुआ था। जिलाधिकारी के आदेश पर ज्वॉइन्ट मजिस्ट्रेट व एसडीएम सदर सुनील कुमार धनवंता द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने शिकायतकर्ता भाजपा के नेता रविशंकर तिवारी की शिकायतों को प्रमाणित कर दिया। जिस पर डीएम के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी वित्त/ राजस्व एवं प्रभारी अधिकारी शिकायत आजाद भगत ने त्वरित निर्णय लेते हुए प्राचार्य के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने के लिए शिब्ली के प्रबंधक अतहर रसीद खां, एसडीएम सदर और उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी ज्ञान प्रकाश वर्मा को आदेश दिया है। यह कार्रवाई 25 अक्टूबर तक करके इसकी आख्या जिलाधिकारी को भेजनी है।
बताते चलें कि शिब्ली कालेज आजमगढ़ एक बहुचर्चित अल्पसंख्यक कालेज है। जहां पहले भी राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के मामले लोगों को जेल जाना पड़ा है तथा यहीं पर हुए वंदेमातरम् कांड में छात्र नेता अजीत राय की जघन्य हत्या हो चुकी है। जिसके कारण आजमगढ़ नगर महिनों कर्फ्यू के ज़द में रहा है। 26 जनवरी 2000 को इसी शिब्ली कालेज में गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हुआ था जिसको लेकर बवाल बढ़ा और तत्कालीन प्राचार्य डॉ इफ्तेखार अहमद, रासायन विभाग के प्रोफेसर ज़फ़र आलम, लिपिक अब्दुल वदुद आदि के विरुद्ध संज्ञेय अपराध में मुकाबले दर्ज हुए थें। इस चर्चित प्रकरण में प्राचार्य सहित अनेक लोगों को जेल जाना पड़ा था।
इधर पिछले कई महीनों से लगातार यह कालेज सहायक प्रोफेसर नियुक्तियों में धांधली के बरतने के आरोप में सुर्खियों में रहा। जिसका मामला अबतक उच्च न्यायालय इलाहाबाद में विचाराधीन है।
वर्तमान में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला सुर्खियों में है। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस 2024 को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की सलामी लेते समय प्राचार्य सावधान मुद्रा में नहीं खड़े हैं बल्कि जेब में हाथ डाले हुए झंडे की सलामी लेते दिख रहें हैं। वहीं उनके पीछे कुछ लोग झंडे की तरफ पीठ करके खड़े हैं। झंडा भी झुका हुआ है। जो राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम-1976 और राष्ट्रीय झंडा संहिता 2002 के अन्तर्गत अपराध है। जिसमें तीन साल की सजा और जुर्माना तथा दोनों की विधि व्यवस्था है। चर्चित प्राचार्य अफसर अली का अभी 15 अगस्त-24 स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज अपमान का यह मामला चल ही रहा है कि एक नया मामला पिछले 26 जनवरी गणतंत्र दिवस का भी आ गया। जहां सभी लोग सावधान मुद्रा में खड़े हैं लेकिन प्राचार्य वहां भी जेब में हाथ डालें हुए दिखाई दे रहें हैं।
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सवाल –
कोतवाल की जांच आख्या पर एसपी सिटी ने आखिर कैसे दे दिया था क्लीनचिट!
प्राचार्य के इस राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा अपमान प्रकरण की जांच पहले भी हो चुकी है। जर्नलिस्ट क्लब आजमगढ़ की शिकायत पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने जांच का आदेश दिया था। जिस पर एसपी सिटी शैलेन्द्र लाल को यह जांच दिया गया। एसपी सिटी ने इस प्रकरण की जांच नगर कोतवाल को दे दिया। कोतवाल ने इस प्रकरण में प्राचार्य को सीधे क्लिनचिट दे दिया। कोतवाल की जांच आख्या को आधार बनाकर एसपी सिटी ने इस आरोपी प्राचार्य को क्लीनचिट दे दिया। जबकि वायरल वीडियो और फ़ोटो में प्राचार्य स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हुए दिख रहें हैं। इस मामले में एक फिर भाजपा नेता रविशंकर तिवारी ने कमिश्नर आजमगढ़ से शिकायत कर प्रकरण की मजिस्ट्रेट से जांच कराने की मांग की। इस शिकायत पर कमिश्नर ने जिलाधिकारी आजमगढ़ को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। अब सवाल यह उठता है कि त्रि-सदस्यीय मजिस्ट्रेट की टीम ने जब उसी प्रकरण में प्राचार्य को दोषी करार दिया तो फिर नगर कोतवाल ने कैसे क्लीनचिट दे दिया। पुलिस की जांच पर सवाल उठ रहे हैं।
