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वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण ने जारी किया वसीयतनामा, अपने अंतिम संस्कार को लेकर लिखी बड़ी बात

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी ने मंगलवार को वसीयतनामा जारी किया। इस पर उन्होंने अपनी मृत्यु के बाद हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार से करने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने अब खुद को ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर घोषित कर अपने शव को अग्नि देने और अस्थियां प्रवाहित करने के लिए नाम भी तय कर दिये है। ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर (पूर्व जितेंद नारायण त्यागी व वसीम रिजवी) ने वसीयतनामा में बताया कि मैं इस्लाम धर्म में पैदा हुआ और मेरा नाम सैयद वसीम रिजवी था। मैंने इस्लामी सिद्धांतों को नकरते हुए वर्ष 2021 में सनातन धर्म स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मुझे सेंगर राजपूत परिवार में पुत्र मानते हुए गोद लिया है। जिस कारण अब मेरा नाम ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर है। उन्होंने बताया कि मेरे इस्लामी परिवार में सभी लोग इस्लामी परंपरा के हिसाब से अपने मजहब को मानते हैं। लेकिन, अच्छी बात यह है कि वह कट्टरपंथी मानसिकता नहीं रखते।

उन्होंने ये भी बताया कि मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को मेरे सनातनी होने पर कोई आपत्ति नहीं है। मुझे अपने परिवार के सभी लोगों को इस्लाम मानने पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे अंदर यह आशंका है की जब मेरी हत्या होगी या किसी अन्य कारण से मृत्यु होगी, तब हो सकता है मेरे परिवार के लोग मेरे शव को परिवार का अधिकार बताते हुए मुस्लिम रीति रिवाज से मेरा अंतिम क्रिया कर्म करके किसी कब्रिस्तान में दफन लाने की कोशिश करें।

कहा कि अब मैं सनातनी हो चुका हूं मेरे अनुसार मेरी अंतिम क्रिया हिंदू रीति रिवाज से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि मैंने एक अपना इच्छा पत्र लिखा है जिसे वसीयतनामा भी कहते है। उन्होंने कहा कि इच्छा पत्र ( वसीयतनामे ) में स्पष्ट लिख दिया है कि मेरी चिता बनाई जाए और हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उसमें अग्नि देकर मेरा अंतिम संस्कार किया जाए।

उन्होंने बताया कि जगतगुरु महाराज रामभद्राचार्य ने मुझे तुलसी पीठ में दीक्षा दी है। इसलिए, मैंने अपने इच्छा पत्र वसीयतनामे में यह इच्छा प्रकट की है कि अगर उनका स्वास्थ्य उनको अनुमति दे तो मेरी अस्थियों का विसर्जन उनके हाथों से ही कराया जाए। अगर ऐसा ना हो पाए तो मेरे द्वारा अधिकृत किए गए लोग ही मेरी अस्थियों का विसर्जन करेंगे। कहा कि मेरी चिता को अग्नि देने के लिए मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक मिहिरजध्वज जो कि वर्तमान में जगत कोठी, नाका हिंडोला लखनऊ में रहते हैं। उन्होंने मेरे हर कठिन समय में एक मित्र के नाते व्यक्तिगत रूप से मेरे साथ बने रहे। इसके अलावा उत्तराखंड निवासी हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रभात कुमार सेंगर ने मेरी जिंदगी में मेरा बहुत साथ दिया। मुझे अपने परिवार का एक सदस्य स्वीकार करते हुए मुझे अपनी माता यशवंत कुमारी सेंगर के माध्यम से परिवार में मान्यता दी।

इसके अतिरिक्त प्रखर राष्ट्रभक्त हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर जो वर्तमान में दैनिक भास्कर लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार हैं और मेरे भाई के समान हैं। इन तीनों व सेंगर परिवार का कोई भी अन्य सदस्य जो मौके पर उपलब्ध हो, उनको ही अपनी चिता में अग्नि देने के लिए अधिकृत करता हूं।

  अधिकृत हैं। उन्होंने कहा कि जगद्गुरु महाराज रामभद्राचार्य, तुलसी पीठ चित्रकूट ने मुझे भगवान श्रीराम की दीक्षा दी है, यदि उनका स्वास्थ्य उनको अनुमति दे, तो उनकी उपस्थिति में मेरी अस्थियों का विसर्जन उपरोक्त तीनों अधिकृत व्यक्तियों में से कोई भी अथवा सेंगर परिवार का कोई भी व्यक्ति पवित्र गंगा में कर दें।

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