यूपी विधानसभा: हंगामे के नाम रहा पहला दिन, जयश्री राम के नारे के जवाब में लगे जय आंबेडकर के नारे; हुई नोंकझोंक
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लखनऊ। विधानसभा में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण शुरू करते ही सपा के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच करीब 46 पेज के अभिभाषण वह आठ मिनट ही पढ़ पाईं। उन्होंने प्रदेश सरकार की नीतियों को जनकल्याणकारी बताया। विधान मंडल के संयुक्त सदन की शुरूआत राष्ट्रगान से हुई। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अभिभाषण पढ़ना शुरू किया। उन्होंने महाकुंभ को श्रेष्ठ भारत की अवधारणा करार दिया। मौनी अमावस्या पर घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर दुख जताया। वह सरकार की नीतियों एवं उपलब्धियों का जिक्र भी किया। राज्यपाल के अभिभाषण शुरू करते ही सपा के विधायक बेल में आ गए वे राज्यपाल वापस जाओ के नारे लगाने लगे। वे हाथ में नारे लिखे तख्तियां लेकर आए थे। हंगामा बढ़ता देख राज्यपाल ने पूरा 46 पेज का अभिभाषण पढ़ने के बजाय आठ मिनट में ही समाप्त कर दिया। इस बीच सत्ता पक्ष की तरफ से जय श्रीराम और विपक्ष की ओर से जय आंबेडकर के नारे भी लगे। विरोध बढ़ता देख सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। दोबारा 12.30 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई और विधाई कार्य निपटाए गए।
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने मिल्कीपुर के विधायक चंद्रभानु पासवान को शपथ दिलाने का प्रस्ताव रखा। विधानसभा अध्यक्ष ने नवनिर्वाचित विधायक को शपथ दिलाई। इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे। सत्ता पक्ष के विधायकों ने जयश्रीराम का नारा लगाया तो मुख्यमंत्री मुस्कुराते रहे। विधायक ने भी शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री के सामने पहुंच कर आभार जताया। इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और विधायक कैलाश नाथ शुक्ल के जन्मदिन की बधाई दी। भाषा को लेकर विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर नोंकझोंक हुई। विपक्ष के विधायकों ने जोरदार हंगामा किया। दरअसल, दोपहर 12.30 बजे के बाद विधानसभा की कार्यवाही शुरू कराते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भाषागत बदलाव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब सदन की कार्यवाही पांच भाषाओं में सुनी जा सकती है। शून्य नंबर पर सदन की भाषा है, जबकि एक नंबर पर अवधी, दूसरे पर भोजपुरी, तीसरे पर ब्रज, चौथे पर बुंदेली और पांचवे पर अंग्रेजी है। इस पर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि लंबी लड़ाई के बाद अंग्रेजी को सदन से बाहर किया गया। यह हिंदी को कमजोर करने का प्रयास है। ज्यादा जरूरी है तो अंग्रेजी के बजाय उर्दू भाषा भी रखी जाए। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम क्षेत्रीय भाषा को बढा़वा देना चाहते हैं। भाषा को समद्ध करने के प्रयास का स्वागत किया जाना चाहिए। सरकार इन भाषाओं की एकेडमी बना रही है। विरोध की निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उर्दू की वकालत करना सपा का दोहरा चरित्र उजागर करता है।