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पंचनामा, गिरफ्तारी, व्यक्तिगत तलाशी में नहीं लिखी जाएगी जाति, गाड़ियों पर लिखवाने पर होगा चालान

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लखनऊ। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुकदमों में अभियुक्तों की जाति का उल्लेख नहीं करने के बाबत राज्य सरकार नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से सीसीटीएनएस में इसका कॉलम हटाने का अनुरोध करेगी। बता दें, एफआईआर में अभियुक्तों की जाति का उल्लेख नहीं किया जाता है, लेकिन सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग एंड नेटवर्क सिस्टम) पोर्टल में इसकी व्यवस्था दी गई है। अब इस कॉलम को डिलीट करने के साथ अभियुक्त के साथ उसकी माता का नाम अंकित करने के लिए पोर्टल में बदलाव का अनुरोध किया जाएगा।

प्रभारी मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए जारी शासनादेश में कहा गया है कि थानों के नोटिस बोर्ड पर अभियुक्तों के साथ उनकी जाति का उल्लेख नहीं किया जाए। पंचनामा, गिरफ्तारी मेमो और व्यक्तिगत तलाशी मेमो में भी अभियुक्तों की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। पुलिस द्वारा तैयार किए जाने वाले अभिलेखों में अभियुक्त के पिता के नाम के साथ माता का नाम भी अंकित किया जाए। हालांकि, किसी अधिनियम के तहत कानूनी बाध्यता होने पर जाति अंकित करने की छूट है। उदाहरण के तौर पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत हुए अपराधों के विवेचक अभियुक्त व पीड़ित की जाति का उल्लेख कर सकेंगे।

वाहनों, सार्वजनिक स्थलों पर जाति के नाम अथवा जाति को महिमामंडित करने वाले स्लोगन या स्टीकर आदि लगाने वालों का केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत चालान किया जाए। कस्बों, तहसीलों और जिला मुख्यालयों में जाति का महिमामंडन करने वाले तथा भौगोलिक क्षेत्रों को जातिगत क्षेत्र या जागीर घोषित करने वाले साइन बोर्ड या घोषणाओं को तत्काल हटाते हुए भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के निर्देश दिए हैं।

शासनादेश में कहा गया है कि राजनीतिक उद्देश्यों से होने वाली जाति आधारित रैलियां समाज में जातीय संघर्ष को बढ़ावा देती हैं जो लोक व्यवस्था और राष्ट्रीय एकता के विपरीत है। इस पर पूरे राज्य में पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। सोशल मीडिया पर किसी जाति को महिमामंडित करने तथा किसी जाति की निंदा करने वाले संदेशों की कड़ी निगरानी करें और जातिगत द्वेष फैलाने अथवा जातिगत भावनाओं को भड़काने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

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