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यूपी उपचुनाव: कांग्रेस हुई दरकिनार, सपा ने चला पीडीए का परिवार दांव, कांग्रेस ने दी तीखी प्रतिक्रिया

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लखनऊ। विधानसभा उपचुनाव में छह प्रत्याशी उतारने से पहले सपा ने कांग्रेस से कोई बात नहीं की। उपचुनाव की पहली सूची में उसके सभी छह प्रत्याशी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही नारा भी दिया- होगा पीडीए के नाम, एकजुट मतदान। हालांकि, सपा ने सियासी परिवारों से ही पत्नी, बेटे-बेटियों या भाई को मौका दिया है। मध्यप्रदेश और हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस ने जो व्यवहार सपा के साथ किया, कांग्रेस के लिहाज से उसी रास्ते पर यूपी में सपा भी बढ़ती दिख रही है। कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय ने मीडिया से कहा कि सूची जारी करने से पहले सपा नेतृत्व ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी। इस बारे में इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति में भी कोई चर्चा नहीं की गई। हालांकि, बाकी बची चार सीटों के बारे में पूछे जाने पर अविनाश पांडेय ने कहा कि राजनीति में संभावनाएं सदैव बरकरार रहती हैं। सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के आश्वासन के बावजूद सपा को इंडिया गठबंधन के तहत कोई सीट नहीं दी गई थी। इसलिए यूपी में भी सपा, कांग्रेस के दावे को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस की मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य इकाइयों ने कहा था कि उनके यहां सपा का कोई जनाधार नहीं है। अब इसी तर्क के आधार पर सपा नेतृत्व कह रहा है कि यूपी में कांग्रेस का भी कोई आधार नहीं है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उसे दो प्रतिशत भी वोट नहीं मिले थे। विधानसभा की कुल 10 सीटों पर उपचुनाव होना है। माना जा रहा है कि शेष चार सीटों पर भी गठबंधन के तहत कांग्रेस के हाथ मुश्किल से ही कुछ लग पाएगा।

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