फायकू दिवस (21 नवंबर) पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.अनिल शर्मा ‘अनिल’ से महेश शर्मा की विशेष बातचीत
1 min readमहेश- फायकू दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करते हुए फायकू विधा के संबंध में बताएं।
अनिल – इस विधा का जन्म 21 नवंबर दो हजार बारह को नजीबाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था और इसके प्रवर्तक है वरिष्ठ साहित्यकार अमन कुमार त्यागी।
महेश- फायकू शब्द का सार्थक अर्थ है कुछ या बस यूं ही।
अनिल – आयरिश अपने नाम के साथ फायकू शब्द लगाते हैं। जिसका अर्थ होता है उड़ान।
भारतीय संदर्भ में हम कह सकते हैं कि फायकू
सकारात्मक,सार्थक और समर्पण भाव संजोए उत्कृष्ट काव्य विधा है। फायकू के वर्णों,फ,आ,य,क,ऊ के अर्थ शब्दकोश में देखने पर ज्ञात हुआ कि
फ- फल,लाभ
आ- थोड़ा, मर्यादा,
य- यश,योग,संयम,प्रकाश, त्याग
क-ब्रह्मा,विष्णु, सूर्य किरण,मन,शरीर,प्रकाश,काला धन,शब्द, अग्नि,वायु।
ऊ- महादेव,इंद्र रक्षक
(आदर्श हिन्दी शब्दकोश संक्षिप्त संस्करण 1986,
प्रकाशक भार्गव बुक डिपो,चौक वाराणसी )
इस प्रकार इन वर्णों के अर्थ के आलोक में हम देखते हैं कि फायकू ऐसी विधा है जिसमें परमात्मा और पंचतत्व तथा उसके अंश से जुड़े तत्वों के प्रति समर्पण का भाव समाहित होता है। यह स्वत: ही भारतीय संस्कृति की समर्पण भावना तेरा तुझको अर्पण के भाव से ओतप्रोत है।
महेश – इसको तीन पंक्तियों और नौ शब्दों में ही
क्यों निर्धारित किया गया है?
अनिल – तीन पंक्तियां प्रतीक है त्रिशक्ति की,।सरस्वती, लक्ष्मी और काली की। ब्रह्मा विष्णु,महेश की।नौ शब्द प्रतीक है,नौ ग्रहों के। नवधा भक्ति के।नवरात्र उपासना के।नौ माह के गर्भकाल के।प्रथम पंक्ति के चार शब्द प्रतीक हैं चार दिशाओं के।चार पुरुषार्थ को।मन, बुद्धि, आत्मा और शरीर के।दूसरी पंक्ति के तीन शब्द प्रतीक हैं सत्यम् शिवम् सुंदरम् के। संत चित्, आनंद के।सत,रज,तम के।तीसरी पंक्ति के दो शब्द प्रतीक है साष्टांग दंडवत के।पूर्ण समर्पण के। इस तरह फायकू एक आध्यात्मिक चेतना को संजोए सहज,सरल और सरस काव्य विधा है।
महेश-इसके संबंध में प्रवर्तक अमन कुमार त्यागी का क्या मत है?
अनिल – इस संबंध में फायकू के प्रवर्तक अमन त्यागी के अनुसार ,”साहित्य की सभी परिभाषाओं से परिपूर्ण फायकू को हाइकू की नकल मानने की भूल न करें।
वह कहते हैं ,आयरिश अपने नाम के बाद FAYKOशब्द का प्रयोग करते हैं। आयरिश में FAYKO का मतलब’उड़ानें के लिए हवा’ TO BLOW,WIND है।उतना ही उड़ाना जिससे जमीन पर वापस आने में कोई कष्ट न हो। यही से प्रेरित होकर फायकू को समर्पण का प्रतीक मानते हुए रचना की गयी है।इसी के साथ इसमें मात्र तीन पंक्तियों का प्रावधान रखा गया है।
यह तीन पंक्तियां, तीनों लोकों का प्रतीक है।××××××× इसमें प्रथम पंक्ति में उद्देश्य होता है
जबकि दूसरी पंक्ति में स्थिति, वर्तमान में रहते हुए अपनी इच्छा, विश्वास, योजना आदि रचनाकार का कृत्य स्पष्ट करती है। और तीसरी पंक्ति में रचनाकार की समस्त कर्मशीलता, इच्छाएं, विश्वास, योजनाएं,
आदि अपने इष्ट के प्रति समर्पित हो जाती है।
सवाल यह था कि समर्पण को कैसे प्रदर्शित किया
जाए?
तमाम चिंतन और मंथन के बाद समर्पण भाव को ध्यान में रखते हुए अंतिम दो शब्द ‘तुम्हारे लिए ‘
निश्चित किए गए।
ये दो शब्द ‘तुम्हारे लिए ‘इस विधा को न सिर्फ नवीनता प्रदान करते हैं, बल्कि उद्देश्य की पूर्ति भी करते हैं।यही दो शब्द इस रचना को प्रारंभ से अंत तक ऐसे बांध लेते हैं कि अनजान और अकवि भी सरलता के साथ फायकू की रचना कर सकता है।”
अब सहजता से समझा जा सकता है कि फायकू का मूल स्वर समर्पण है यह समर्पण अपने इष्ट के प्रति,
परिवार के प्रति, प्रकृति के प्रति,धर्म के प्रति,धन के प्रति, यहां तक कि अपने प्रति भी हो सकता है।
महेश -प्रथम फायकू के बारे में भी बताइए ।
अनिल -गुनाहों की हर तरकीब,
मुझे आज़माने दो
तुम्हारे लिए।
यही है वह पंक्तियां । जिनको प्रथम फायकू कहलाने का गौरव प्राप्त है,जिनसे फायकू विधा का जन्म हुआ। इसके रचनाकार हैं फायकू के प्रवर्तक अमन कुमार त्यागी।
महेश – फायकू की बारह वर्ष की विकास यात्रा के बारे में बताएं, विस्तार से।
अनिल – फेसबुक पटल पर यह विधा विभिन्न रचनाकारों नेअपनाकर अपनी सर्जनात्मकता से पाठकों को प्रभावित करना शुरू कर दिया। यह विधा इतनी लोकप्रियता प्राप्त कर रही थी कि विभिन्न गोष्ठियोंऔर साहित्यिक मंचों पर यह लोकप्रियता प्राप्त करने लगी।
आगरा में फरवरी 2013 में आयोजित ताज साहित्योत्सव में सुप्रसिद्ध साहित्यकार अविनाश वाचस्पति ने ‘नयी तकनीक और साहित्य’ विषय पर एक लंबा वक्तव्य दिया था। उन्होंने फायकू की चर्चा करते हुए कहा था-
“इंटरनेट फेसबुक पर रचनात्मकता को नयी विधाएं पैदा हो रही है।…….एक नयी विधा फायकू आयी है,
जिसमें बहुत थोड़े शब्दों में कारगर तरीके से सलीकेदार बात की जा रही है।”
महेश – ताज महोत्सव में चर्चा के बाद आगे की यात्रा कैसी रही।
अनिल – तत्कालीन एक लोकप्रिय पत्रिका थी मनमीत। अनुभूतियों की साक्षी संवेदना का स्पंदन, टैग लाइन से प्रकाशित होने वाली पत्रिका मनमीत, दिल की बात दिल के साथ,के फरवरी -मार्च2013 के अंक में पृष्ठ 13 पर, संपादकीय टिप्पणी फायकू हिंदी पद्य साहित्य की एक अनोखी विधा है, जिसमें हर तीसरी पंक्ति में तुम्हारे लिए होता है जो किसी के प्रति समर्पण के भाव की अभिव्यक्ति है।इस विधा को मनमीत के उप संपादक वरिष्ठ पत्रकार अमन त्यागी ने ईजाद किया है।और यह पहली बार मनमीत
में प्रकाशित हो रहे हैं। ……इस अंक में आठ फायकूकारों के 5-5 फायकू यानि कुल चालीस फायकू प्रकाशित हुए थे।
किसी साहित्यिक पत्रिका में फायकू का विशिष्ट पृष्ठ प्रकाशित होना इस बात का स्वत:प्रमाण है कि तबतक यह विधा संपादकों का ध्यानाकर्षण कर चुकी थी और पाठकों में इसकी मांग हो रही थी।वर्ष 21-12-2013 को लोकप्रिय दैनिक,मेरठ से प्रकाशित जनवाणी के प्रथम पृष्ठ पर अमन त्यागी का एक साक्षात्कार प्रकाशित हुआ। जिसमें फायकू और इन्हीं की ईजाद काव्य विधा अमनिका पर लेखक ने अमन त्यागी से बातचीत की थी।यह तो सुनिश्चित हो गया था कि लगभग एक वर्ष में ही फायकू ने अपनी विशिष्ट पहचान साहित्य जगत में बना ली थी।इसके बाद एक दशक का काल फायकू के संदर्भ में मंथर गति से सर्जन का काल रहा। कारण अनगिनत हो सकते हैं लेकिन मेरा मानना है कि इस विधा में सर्जन करना उतना सरल नहीं जितना समय मान लेते हैं।
महेश – आप अपने योगदान के संबंध में बताएं
और वह जरुर बताएं जो अमन त्यागी ने लिखा था।
अनिल – जी महेश जी।अब 2023 से इस विधा ने फिर गति पकड़ी और इसमें विशिष्ट कार्य हुए,हो रहे हैं। फायकू के प्रवर्तक अमन कुमार त्यागी ने ओपन डोर 21 मार्च 2024 के अंक में अपने संपादकीय में लिखा कि-
‘यह सच है कि फायकू सर्वप्रथम श्रीभगवान की असीम अनुकम्पा से प्रथम बार मेरी ही मुंह से निकला। देखते ही देखते अर्चना राज नागपुर से, रश्मि अभय पटना से, सविता मिश्रा आगरा से, आशा पांडेय ओझा ‘आशा’ जोधपुर से,और न जाने कितने साहित्यकारों ने फायकू की पतवार संभाली। तत्पश्चात 2013 के आगरा ताज महोत्सव में प्रसिद्ध व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति जी ने विस्तृत रुप से फायकू पर चर्चा की। कुछ काल अनुकूल नहीं रहा मगर 2023 में जिस तरह से डॉ.अनिल शर्मा ‘अनिल’ ने फायकू को अपने कंधे पर बैठाया और उसे दूर के दर्शन कराए तो मानो को फायकू को पंख लग गए।’
महेश – फायकू को लेकर कुछ विशिष्ट प्रयास और आयोजन हुए क्या?
अनिल – हां जी,फायकू विधा को लेकर हुए कुछ विशिष्ट कार्यों, प्रकाशनों और आयोजनों हुए, जिनमें *ओपन डोर का फायकू विशेषांक 14-10-2023 प्रकाशित हुआ जिसमें एशियाई खेलों पर 103 फायकू डॉ.अनिल शर्मा ‘अनिल’ के और साथ में रचनाकारों अविनाश वाचस्पति, अर्चना राज,आशा पाण्डेय ओझा आशा, रश्मि अभय,अमन कुमार त्यागी, सविता मिश्रा, डॉ.अनिल शर्मा ‘अनिल’ के विभिन्न विषयक 100-100 फायकू प्रकाशित हुए।
*दि ग्राम टुडे का नवरात्रि फायकू विशेषांक,(संपादक विश्वेश्वर दत्त पाण्डेय) 22-10-2023 को प्रकाशित हुआ ।*ओपन डोर में नववर्ष के फायकू, 28-12-2023के अंक में प्रकाशित किए गए।*21-11-2023 को ओपन डोर का फायकू दिवस अंक निकला जिसमें फायकू साहित्य पर विशेष सामग्री प्रकाशित की गयी। फायकू संबंधी आलेख, विचार भी इस अंक में शामिल थे।
*यू ट्यूब पर 15-10-2023 को अमन त्यागी ने
फायकू पर आयोजित कार्यक्रम में वक्तव्य दिया।
*21 फरवरी 2024 को 55 फायकू रत्न सम्मान दिये गये।
* स्वाभिमान ई पत्रिका में मेरे नववर्ष के फायकू प्रकाशित हुए।*ओपन डोर 7-3-2021,शिव के फायकू विशेषांक का प्रकाशन किया गया।
*अनिल अभिव्यक्ति का अंक 151,सरदी के फायकू विशेषांक प्रकाशित हुआ *19-2-2024.ओपन डोर , देशभक्ति के फायकू विशेषांक प्रकाशित हुआ।
* आकाशवाणी पर फायकू पंहुचे।आकाशवाणी नजीबाबाद से पहली बार फायकू 5-12-2023 को रात्रि 9:30 पर प्रसारित काव्यगोष्ठी में मैंने पढ़े।
* फायकू गीत पहली बार अमर उजाला काव्य अंतरजाल पटल पर होली के अवसर पर मार्च 2024 में प्रकाशित हुए जो डॉ.अनिल शर्मा ‘अनिल’ ने रचे।
*
महेश – इस विधा में कितने रचनाकार इन दिनों सक्रिय हैं? कुछ विशिष्ट फायकूकारों के नाम भी बता दीजिए।
अनिल – समकालीन लगभग 150 फायकूकार इस विधा में सक्रिय लेखन कर रहे हैं। जिनमें
रश्मि अग्रवाल, डॉ अनिल शर्मा अनिल, डॉ सुशील त्यागी, डॉ भूपेंद्र कुमार डॉ.पूनम चौहान,अक्षि त्यागी, श्रीमती विनोद शर्मा,
निर्मला जोशी निर्मल,वीना आडवानी तन्वी, आलोक त्यागी, साधना, सुनील श्रीवास्तव, विनीता चौरसिया, अशोक कुमार, डॉ.होशियार सिंह यादव,डॉ.रेखा सक्सेना, मैत्री मेहरोत्रा, पंडित राकेश मालवीय मुस्कान, डॉ.भूपेन्द्र कुमार,सुनीता चक्रपाणि, रंजना हरित,आभार मिश्रा,नरेश सिंह नयाल,नवीनता दुबे नूपुर, डॉ.सारंगा देश असीम,सविता वर्मा ग़ज़ल,शोभा सोनी, डॉ.प्रमोद शर्मा प्रेम डॉ.अशोक शर्मा, सुखमिला अग्रवाल भूमिजा,डॉ.माया सिंह माया, सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी, डॉ. वीना गर्ग,रेनू बाला सिंह,सीता त्रिवेदी, डॉ.भगवान प्रसाद उपाध्याय, लक्ष्मी सिंह,मीना जैन,सुधीर राणा, डॉ.पुष्पा सिंह,संजय प्रधान, संदीप कुमार शर्मा,सरोज दुगड़ सविता, डॉ.बेगराज यादव,
चारू राजपूत, अनुजा दुबे पूजा, यशोधर डबराल, गोविन्द सिंह बौद्ध, प्रेमसिंह शुभा शुक्ला निशा, रश्मि अग्रवाल, त्रिलोचन जोशी,पवन कुमार सूरज, मनीषी सिन्हा,कनक पारख,अर्चना चौहान, सतेन्द्र शर्मा तरंग, सुषमा श्रीवास्तव,वर्तिका अग्रवाल वरदा और सुमन विष्ट,कनक पारख, पवन कुमार सूरज, सतेन्द्र शर्मा तरंग, रंजना हरित, पंडित राकेश मालवीय मुस्कान, डॉ सारंगा देश असीम, पंडित धर्मानंद त्रिपाठी गुरु, वर्तिका अग्रवाल वरदा, लक्ष्मी सिंह,संजय प्रधान, डॉ वीना गर्ग, डॉ मंजू गुप्ता,अशोक विश्नोई, डॉ भूपेन्द्र कुमार, सीता त्रिवेदी,शुभा शुक्ला निशा, रेनू बाला सिंह, निर्मला जोशी निर्मल, सत्य प्रकाश शर्मा सच,अनुजा दुबे पूजा, योगिता चौरसिया प्रेमा, मनीषी सिन्हा,सुमन प्रभा,नवीनता दुबे नूपुर, विनीता चौरसिया, सुषमा श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव राज, सुखमिला अग्रवाल भूमिजा,अमन कुमार त्यागी,ईश्वर चन्द्र जायसवाल, नरेश सिंह नयाल, डॉ रेखा सक्सेना, सुशीला शर्मा, मैत्री मेहरोत्रा मैत्री,अक्षि त्यागी, डॉ अनिल शर्मा ‘अनिल’, डॉ कुसुम चौधरी,मीना जैन, डॉ पुष्पा सिंह, डॉ घनश्याम बादल,मीना दुगड़, नवीन जैन अकेला आदि प्रमुख हैं।
महेश – सभी फायकूकारों को फायकू दिवस पर
हमारी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।यह यात्रा जारी रहे।फिर कभी और बातचीत करेंगे फायकू पर बस आज इतना ही। हार्दिक शुभकामनाएं।
अनिल – जी हार्दिक आभार, नमस्कार।